हिमाचल प्रदेश भारतीय गणतंत्र का राज्य है, जो भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित है। इस राज्य का, १ नवंबर, १९६६ के पूर्व, क्षेत्रफल २७,८६६ वर्ग किमी एवं जनसंख्या १३,५१, १४४ (१९६१) थी, पर पंजाब राज्य के पुनर्गठन के कारण १ नवंबर, १९६६ ई. को हरियाणा राज्य बना और पंजाब के तीन पहाड़ी जिले, शिमला, काँगड़ा एवं लाहुल और स्पिटी, हिमाचल प्रदेश में सम्मिलित कर दिए गए जिसके कारण अब यहाँ का क्षेत्रफल लगभग ५३,१३८ वर्ग है। इस राज्य के उत्तर में जम्मू और काश्मीर राज्य, पश्चिम एवं पश्चिम दक्षिण में पंजाब, दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य तथा पूर्व में तिब्बत हैं। चिनाब, व्यास, रावी, सतलज एवं यमुना नदियाँ इस राज्य से होकर बहती हैं। पंजाब के पुनर्गठन का सबसे अधिक लाभ हिमाचल प्रदेश राज्य को ही प्राप्त हुआ है। राज्य का भूभाग बढ़ जाने के साथ साथ इसकी खनिज एवं अन्य संपत्ति में भी पर्याप्त वृद्धि हो गई है। इस राज्य में अब नौ जिले हैं : चंबा, मंडी, बिलासपुर, महान्, सिरमौर, किन्नौर, लाहुलस्पिटी, शिमला एवं काँगड़ा हैं। राज्य की राजधानी शिमला है।
यह राज्य पर्वतीय प्रदेश में है। इसमें हिमालय तथा शिवालिक की पहाड़ियाँ फैली हुई हैं। यहाँ यातायात के साधन कम हैं, अधिकतर कुली तथा टट्टू का उपयोग किया जाता है। यहाँ की जलवायु शीतल तथा स्वास्थ्यवर्धक है। जाड़े में यहाँ कड़ाके की सर्दी पड़ती है और कभी कभी हिमपात भी होता है। ग्रीष्म काल में यहाँ ठंढा रहता है और यहाँ का मौसम बड़ा सुहावना रहता है। वर्षा अधिकतर ग्रीष्म काल में मानसूनी हवाओं से होती है।
यहाँ के पर्वतों पर सघन वन हैं। इन वनों में चीड़, देवदार तथा सनोवर के वृक्ष मिलते हैं और इनकी लकड़ी राज्य के लिए प्रमुख आय का स्रोत है। पहाड़ी ढालों पर चाय, फलों एवं मेवों के बगीचे हैं। आलू यहाँ का प्रमुख कृषि उत्पाद है। यहाँ से भारत की २० प्रतिशत आलू की माँग पूरी की जाती है। गेहूँ, मक्का, जौ, चना, तंबाकू आदि यहाँ की मुख्य उपज हैं। नमक आय का दूसरा प्रमुख साधन हैं। जंगलों से इमारती लकड़ी, जलावन लकड़ी, लकड़ी का कोयला, गंदाबिरोजा आदि प्राप्त होते हैं। यहाँ के लोगों का मुख्य उद्यम लकड़ी काटना, खेती करना, मक्खन, घी आदि बनाना, भेड़ों के ऊन से कंबल, शाल, पट्टू, आदि तैयार करना है। नाखून में एक लोहे का कारखाना भी है। यहाँ के मुख्य नगर शिमला, चंबा, मंडी, बिलासपुर आदि हैं। जोगेंद्रनगर के पास उल्ह जलविद्युत् प्रणाली का शक्तिगृह है, जहाँ से इस राज्य के नगरों में विद्युत् पहुँचाई जाती है।
इतिहास - १५ अप्रैल, १९४८ को ३० पहाड़ी राज्यों को मिलाकर यह प्रदेश बना और चीफ़ कमीश्नर इसका प्रशासक नियुक्त किया गया। १९५१ में यह सी वर्ग का राज्य बना जिसकी विधानसभा में ३६ सदस्य थे और तीन मंत्री थे। सन् १९४५ में बिलासपुर राज्य इसमें सम्मिलित हो गया और विधानसभा की सदस्य संख्या ४१ हो गई। १९५६ ई. में राज्यपुनर्गठन आयोग की ने संस्तुति की कि हिमाचल प्रदेश पंजाब में सम्मिलित कर दिया जाए पर इस प्रदेश ने अपना पृथक् अस्तित्व बनाए रखा। इस तरह पृथक् रहने का मुख्य हिमाचल प्रदेश को चुकाना पड़ा और १ नंवबर १९५६ ई. को यह प्रदेश केंद्रीय शासन के अंतर्गत चला गया। यहाँ की विधानसभा भंग हो गई और शासन चलाने के लिए प्रशासक नियुक्त कर दिया गया। १९६३ ई. को पुन: लोकप्रिय शासन की स्थापना प्रदेश में हुई। केंद्र यद्यपि राज्य विस्तार में पंजाब एवं हरियाणा से पर्याप्त बड़ा है। (अजितनारायण मेहरोत्रा)