हिम हॉकी साधारण हॉकी सदृश एक खेल है जो बर्फ से ढँकी हुई भूमि पर खेला जाता है। इसका सबसे अधिक प्रचलन कैनाडा में हुआ, जहाँ भूमि दीर्घकाल तक बर्फ से ढँकी रहती है।

इस खेल के प्रत्येक पक्ष में छह खिलाड़ी होते हैं। ये बर्फ पर फिसलनेवाली स्केट (लोहे की खड़ाऊँ) पहिनकर खेलते हैं। गेंद के स्थान पर कठोर गोल, चकत्ती का जिसे पक (puck) कहते हैं, प्रयोग होता है। यह चकत्ती २.५ मोटी तथा ८ सेमी व्यास की होती है। जिस क्षेत्र में यह खेल खेला जाता है उसे रिंक (rink) कहते हैं। यह लगभग ६० मी लंबा और २६ मी चौड़ा होना चाहिए। रिंक के दोनों सिरों से दस फुट पर, हिम की चौड़ाई के आर पार खींची रेखा के मध्य में गोल रहता है। यह १.५ मी ऊँचा तथा क्षेत्र के मध्य के सम्मुख लगभग २ मी चौड़ा खुला होता है। गोलकीपर को छोड़ अन्य सब खिलाड़ियों के हाथ में ऐसी स्टिक होती है जिसका फल हत्थे में ४५ अंश के कोण पर मुड़ होता है, इसी एड़ी से फल के सिरे तक ३.८ सेमी होती है। हत्थे ५ सेमी २ सेमी चौकोर होते हैं, किंतु फल चौड़ाई में बढ़कर ५ सेमी हो जाता है। गोलकीपर की स्टिक के हत्थे तथा फल दोनों की चौड़ाई १० सेमी होती है। खेल के क्षेत्र को हिम के आर पार, गोल से १५ मी की दूरी पर रेखाएँ खींचकर, तीन परिक्षेत्रों में बाँट देते हैं। बचाव करनेवाले दल के गोल के पास का परिक्षेत्र बचाव का, मध्य का परिक्षेत्र निष्पक्ष तथा सबसे दूरवाला आक्रमण परिक्षेत्र कहलाता है। प्रत्येक पक्ष के खिलाड़ियों में गोलकीपर, दायाँ रक्षक, वाम रक्षक, मध्य का तथा दाएँ और बाएँ पार्श्विक होते हैं। सामान्यत: पिछले तीन आगे बढ़कर खेलते हैं। खेल के ६० मिनटों का समय २० मिनटों की तीन पालियों में बाँटा जाता है। यदि खेल बराबर का रहा तो समय कुछ बढ़ा दिया जाता है। रेफरी, अर्थात् मध्यस्थ, जब पक को क्षेत्र के केंद्र में आमने सामने खड़े मध्य के खिलाड़ियों के बीच में डाल देता है तो खेल आरंभ हो जाता है। (भगवान दास वर्मा)