हॉकिंस, सर जॉन यह एक अंग्रेज एडमिरल था। इसका जन्म प्लिमथ में सन् १५३२ में हुआ तथा इसकी मृत्यु पोर्टोरीको के पास समुद्र में १२ नवंबर, १५९५ को हुई। इसका पिता विलियम हॉकिंस था। बचपन से जॉन अपने परिवार के जहाजों पर ही पला था और उसे नाविक जीवन का काफी ज्ञान हो गया था। एलिजबेथ के समय में समुद्रीय व्यापारमार्गों की खोजबीन तथा सूत्रपाट का बड़ा जोर था। इसमें जॉन हॉकिंस ने सक्रिय भाग लिया। यह अपने जहाज में गिनी तट पर पहुँचा, वहाँ पुर्तगालियों को लूटा तथा बहुत से हब्शियों को पकड़ लाया। इन हब्शियों को उसने स्पेन के अमरीकी उपनिवेशों में छुपाकर पहुँचा दिया। अमरीका में हब्शी दासों का व्यापार सर जॉन ने ही शुरु किया। सन् १५६२-१५६३ में उसने अपनी प्रथम जलयात्रा सफलतापूर्वक समाप्त की। अगले वर्ष उसने एक ऐसी ही यात्रा और की इससे उसकी काफी ख्याति हो गई और उसे कुछ पुरस्कार भी मिले। इसी बीच अंग्रेजों की स्पेन से काफी स्पर्धा बढ़ गई थी। इसलिए सन् १५६७ में सर जॉन हॉकिंस पुन: अपनी जलयात्रा के लिए चल पड़ा। इस बार फिर उसने बहुत से हब्श्योिं को और समुद्र में कुछ स्पेनियों को पकड़ लिया और मेक्सिको के बंदरगाह वीराक्रूज में प्रविष्ट हो गया। दुर्बल स्पेन अधिकारियों ने उसके प्रवेश पर कोई विरोध नहीं किया। सर जॉन के दुर्भाग्य से इसी समय स्पेनियों की एक शक्तिशाली सेना वहाँ आ पहुँची और उसने जॉन पर आक्रमण कर दिया। सर जॉन अपने कुल दो जहाज लेकर वहाँ से बच निकला और इंग्लैंड वापस चला गया।

इसके कुछ वर्षों बाद तक वह फिर समुद्र पर नहीं गया। वह अंग्रेजी नौसेना का क्रमश: कोषाध्यक्ष तथा नियंत्रक बना। तत्पश्चात् वह आजीवन नौसेना का एक मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बना रहा। सन् १५८८ में इसने स्पेन के प्रसिद्ध 'आरमाडा' के विरुद्ध रियरएडमिरल के रूप में युद्ध किया। 'आरमाडा' के परास्त होने पर यह 'नाइट' बना किया गया। सर जॉन के अंतिम दिन असफलता की यातना में बीते। सन् १५९० में इसे पुर्तगाल के तट पर स्पेनी जहाजों का धन लूटने के लिए भेजा गया और १५९५ में यह पुन: अपने चचेरे भाई ड्रेक के साथ घनपूर्ण जहाजों को लूटने के लिए वेस्ट इंडीज की ओर जलयात्रा पर गया। ये दोनों ही यात्राएँ विफल सिद्ध हुईं। (मिथिलेश पांडा)