हाइड्रेज़ोइक अम्ल (HN3) इसे एज़ोइमाइड (Azoimide) भी कहते हैं। यह हाइड्रोजन और नाइट्रोजन का यौगिक है तथा विस्फोटक होता है। इसके लवण ऐज़ाइट (Azide) भी विस्फोटक होते हैं पर अम्ल से कम। इसका एक महत्वपूर्ण लवण लेड ऐज़ाइड (lead azide) है जो विस्फोटकप्रेरक (detonators) और समाघात-पिधानों (percussion cups) में विस्फोटक के चालू करने में प्रयुक्त होता है। ग्रीस (Griess) द्वारा १८६६ ई. में, जब वे डायज़ो यौगिकों का अध्ययन कर रहे थे, इसका कार्बनिक व्युत्पन्न (Organic derivative) पहले पहल तैयार हुआ था। स्वर्य अम्ल का निर्माण १८९० ई. में टी. कटिंयस (T. Curtius) द्वारा हुआ था। पीछे लगभग २०० सें. पर सोडामाइड पर नाइट्रस आक्साइड की क्रिया से यह प्राप्त हुआ। NaNH2+N2 O NaN3+H2O। आज इसके तैयार करने की अनेक विधियाँ ज्ञात हैं जिनसे सावधानी से तैयार करने में अच्छी उपलब्धि हो सकती है।

यह अम्ल वर्णहीन द्रव है जो ३७ सें. पर उबलता है तथा आघात से बड़े जोरों से विस्फोट करता है। इसमें विशिष्ट गंध होती है। इसके वाष्प से सिर दर्द होता है और श्लेष्मल झिल्ली आक्रांत होती है। इसके लवण क्लोराइड जैसे होते हैं। यह दुर्बल अम्लीय होता है।

इसकी संरचना के संबंध में अनेक वर्षों तक विवाद चलता रहा। कुछ लोग इसे चक्रीय सूत्र देने के पक्ष में थे और कुछ लोग विवृत शृंखलासूत्र के पक्ष में थे, पर आज विवृत शृंखलासूत्र ही सर्वमान्य है जिसमें तीनों नाइट्रोजन परमाणु एक सीधी रेखा में स्थित हैं। जैसा इस सूत्र में दिया है - H - N = N N

(सत्येंद्र वर्मा)