हाइड्रॉक्सिलऐमिन (Hydroxylamine, NH2OH) वस्तुत: अमोनिया का एक संजात है जिसमें अमोनिया का एक हाइड्रोजन हाइड्रॉक्सिलसमूह से विस्थापित हुआ है। पहले पहल इसका निर्माण १८६५ ई. में लॉसेन (Lossen) द्वारा क्लोराइड के रूप में हुआ था। शुद्ध रूप में लब्रि डब्रुयन (Lobry de Bruyn) ने इसे पहले पहल प्राप्त किया।
इसके तैयार करने की अनेक विधियाँ हैं पर साधारणतया नाइट्राइट पर अम्ल सल्फाइटों की (१:२ ग्रामाणु अनुपात में) क्रिया से हाइड्रॉक्सिलऐमिन सल्फेट के रूप में प्राप्त होता है। एक दूसरी विधि नाइट्रोपैराफिनों के जल अपघटन से है। शुद्ध अजल हाइड्रॉक्सिलऐमिन प्राप्त करने के लिए इसके क्लोराइड को परिशुद्ध मेथाइल ऐल्कोहीलय विलयन में सोडियम मेथिलेट से उपचारित करते हैं। अवक्षिप्त सोडियम क्लोराइड को छानकर निकाल देते हैं और न्यून दबाव पर आसवन से ऐल्कोहल को निकालकर उत्पाद को शुद्ध रूप में प्राप्त करते हैं।
शुद्ध हाइड्रॉक्सिलऐसिंन रंगहीन, गंधहीन, क्रिस्टलीय ठोस है जो ३३� सें. पर पिघलता है और २२ मिमी दबाव पर ५८� सें. पर उबलता है। उच्च ताप पर यह विघटित, कभी कभी विस्फोट के साथ, हो जाता है। यह जल में अतिविलेय है और जलीय विलयन सामान्यत: स्थायी होता है। शुद्ध क्लोरीन में यह जलने लगता है। यह प्रबल अपचायक होता है। चाँदी के लवणों से चाँदी और ताँबे के लवणों से क्यूप्रस ऑक्साइड अवक्षिप्त करता है। कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में यह ऑक्सीकारक भी होता है। फेरस हाइड्रॉक्साइड को फेरिक हाइड्रॉक्साइड में परिवर्तित कर देता है।
हाइड्रॉक्सिलऐमिन के लवण सरलता से बनते हैं। इसके अधिक महत्व के लवण सल्फेट और क्लोराइड हैं। ऐल्डीहाइड और कीटोन के साथ यह ऑक्सिम बनाता है। कार्बनिक रसायन में ऑक्सिम बड़े महत्व के यौगिक हैं।श् (सत्येंद्र वर्मा)