हाइड्राइड (Hydrides) हाइड्रोजन जब अन्य तत्वों, धातुओं, उपधातुओं और अधातुओं, से संयोग कर द्विअंगी (binary) यौगिक बनाता है तब उन्हें 'हाइड्राइड' कहते हैं। कुछ ऐसे भी हाइड्राइड प्राप्त हुए हैं जिनमें एक से अधिक धातुएँ विद्यमान हैं। हाइड्राइडों का महत्व इस बात में है कि इनमें हाइड्रोजन की मात्रा सर्वाधिक रहती है और उनसे शुद्ध हाइड्रेजन प्राप्त किया जा सकता है। ये अपचायक और अच्छे जलशोषक होते हैं। इनकी सहायता से धातुओं का उत्कृष्ट निक्षेप भी प्राप्त हो सकता है। कुछ संघननकारक के रूप में भी प्रयुक्त हुए हैं।

हाइड्राइड चार वर्गों में विभक्त किए गए हैं : १. लवण किस्म के हाइड्राइड (Salt-like hydride), २. धातु किस्त के हाइड्राइड (Metal type hydride), ३. द्विलक या बहुलक (Dinner or polymer) हाइड्राइड और ४. सहसंयोजक (Covalent) हाइड्राइड ।

लवण किस्म के हाइड्राइडों को क्रिस्टलीय हाइड्राइड भी कहते हैं। ये क्षार धातुओं और क्षारीय भृत्तिका धातुओं के हाइड्राइड होते हैं। लिथियम हाइड्राइड (L.i H), सोडियम हाइड्राइड (Na H), कैल्सियम हाइड्राइड (Ca H2), लिथियम एलुमिनियम हाइड्राइड (Li Al H3) आदि, इसके उदाहरण हैं। ये वर्णहीन, क्रिस्टलीय, विद्युत् कुचालक, अवाष्पशील और अक्रिय विलायकों में अविलेय होते हैं। जल की क्रिया से ये जो हाइड्रोजन मुक्त करते है उसका आधा हाइड्रोजन हाइड्राइड से और आधा हाइड्रोजन जल से आता है। अत: हाइड्रोजन की प्राप्त मात्रा हाइड्राइड में उपस्थित हाइड्रोजन की मात्रा से दुगुनी होती है। धातुओं और हाइड्रोजन के सीधे संयोग से विभिन्न तापों पर तप्त करने से हाइड्राइड बनते हैं। ये बड़े सक्रिय होते हैं और जल, ऐल्कोहॉल, कार्बन डाइआक्साइड, सल्फर डायक्साइड, नाइट्रोजन आदि से क्रिया, देकर विभिन्न उत्पाद बनते हैं और हाईड्रोजन मुक्त करते हैं। नाइट्रोजन की क्रिया से ये धातुओं के नाइट्राइड बनते हैं।

धातु किस्म के हाइड्राइडों को अंतरालीय (interstital) हाइड्राइड भी कहते हैं। टाइटेनियम हाइड्राइड (Ti H2), ज़रकोनियम हाइड्राइड (Zr H2) और यूरेनियम हाइड्राइड (U H3) इनके उदाहरण हैं। ये कठोर भंगुर, धात्विक चमकवाले और विद्युत् चालक होते हैं। जल पर इनकी कोई क्रिया नहीं होती और निष्क्रिय विलायकों में अविलेय होते हैं।

द्विलक और बहुलक हाइड्राइड साधारणतया अधातुओं के हाइड्राइड होते हैं। ये वाष्पशील हाइड्राइड के अंतर्गत भी आते हैं, जैसे डाइबोरेन (B2 H6), डेकाबोरेन (B4 H10), ऐलुमिनियम हाइड्राइड (Al H3)n। ये गैसीय, द्रव या ठोस हो सकते हैं। ये विद्युत् के अचालक होते हैं। जल की इनपर क्रिया होती है और उससे हाइड्रोजन निकलता है। इनके तैयार करने की कोई सामान्य विधि नहीं है। लिथियम ऐंलुमिनियम हाइड्राइड पर बोरोनक्लोराइड की क्रिया से डाइबोरेन प्राप्त होता है। बोरोन क्लोराइड या बोरोन ब्रोमाइड पर हाइड्रोजन के विद्युत् विसर्जन द्वारा संयोजन से भी यह प्राप्त हो सकता है।

सहसंयोजक हाइड्राइड - इन हाइड्राइडों में बंध सामान्य सहसंयोजक बंध होते हैं जिनमें बंध का इलेक्ट्रॉन धातु या अधातु और हाइड्रोजन के बीच न्यूयाधिक समान रूप से बँटा रहता है। ये हाइड्राइड भी गैसीय या शीघ्रवाष्पशील द्रव तथा विद्युत् के अचालक होते हैं। जल की क्रिया से या गरम करने से ये सरलता से विघटित हो जाते हैं और हाइड्रोजन मुक्त करते हैं। सिलिकन हाइड्राइड (Si H4), आर्साइन (As H3), जर्मेन (Ge H4) इत्यादि इनके उदाहरण हैं।

हाइड्राइडों का वियोजन - लवण और धातु किस्म के हाइड्राइड ऊष्मा से वियोजित हो जाते हैं पर यह वियोजन उत्क्रमणीय (reversible) होता है जबकि बहुलक, सहसंयोजक और गौणीय हाइड्राइड भी वियोजित होने पर उनका वियोजन अनुत्क्रमणीय होता है। उच्च ताप पर अपचयन गुण अधिक स्पष्ट होता है। पोटैशियम हाइड्राइड कार्बन का अपचयन कर पोटैशियम फार्मेट बनता है। कैल्सियम हाइड्राइड धातुओं के आक्साइड को लगभग ९०० सें. पर अपचयित कर धातुओं में परिणत कर देता है। गौण लवण हाइड्राइड अधिक प्रबल अपचायक होते हैं। हाइड्रेजनीकरण में अनेक धातुओं के हाइड्राइड प्रबल अपचायक के रूप में प्रयुक्त होते हैं। संघननकारक के रूप में इनके उपयोग दिन प्रति दिन बढ़ रहे हैं। (रम्शोचंद्र कपूर)