हरिण (Antelope) विशाल अंगूलेटा वर्ग (order ungulata) के अंतर्गत गो कुल फैमिली बोवाइडी (Family Bovidae) के खुरवाले जीव हैं जो अफ्रीका, भारत तथा साइबेरिया के जंगलों के निवासी हैं।

ये बारह उपकुलों में विभक्त हैं जिनमें निम्नलिखित प्रसिद्ध हरिण आते हैं।

पहले उपकुल - ट्रागेलाफिनि (Tragelaphine) में बड़े और मझोले सभी तरह के हरिण सम्मिलित हैं। ये अफ्रीका और भारत के निवासी हैं जिनकी सींगें घुमावदार होती हैं। इनमें इंलैड (Eland Taurotragus oryx) ६ फुट ऊँचा, चटक बादामी रंग का हरिण है जो अफ्रीका का निवासी है।

बाँगो (Bongo T. Eurycerus) को इलैंड का निकट संबंधी कहना अनुचित न होगा। यह भी अफ्रीका का हरिण है जिसकी ऊँचाई ५ फुट तक पहुँच जाती है। इसके शरीर का रंग कत्थई होता है, जिसपर १०-१२ सफेद धारियाँ पड़ी रहती हैं। नर मादा दोनों की सीगें घुमावदार होती हैं।

कुडू (Koodo, Strepsiceros Strepsiceros) सिलेटी भूरे, बड़े कद का हरिण है जिसकी ऊँचाई ५ फुट तक पहुँची जाती है, केवल नर के मार्थ पर चक्करदार लंबी सींगें रहती हैं।

बुश बक (Bush Buck, Tragelaphus Buxtoni) यह भी दक्षिण अफ्रीका का ४ फुट ऊँचा भूरे रंग का हरिण है जिसकी सींगें घुमावदार रहती हैं।

न्याला (Nyala, Tragelaphus angasi) भी अफ्रीका का हरिण है जिसका नर सिलेटी भूरा और मादा चटक लाल रंग की होती है।

यह ३ फुट ऊँचा और घुमावदार सींगोंवाला जानवर है।

विभिन्न प्रकार के हिरण

मार्श बक (Marsh Buck, Limnotragus spekii) भी ४ फुट ऊँचा मध्य अफ्रीका निवासी हरिण है जो अपना अधिक समय पानी और कीचड़ में बिताता है।

चौसिंघा (Four horned Antelope, Tetra cerus guadri cornis) हमारे देश का छोटा हरिण है। जो कद में दो फुट ऊँचा होता है। इसके नर के सिर पर चार छोटी छोटी नोकीली सींगें रहती हैं।

नीलगाय (Nilgai, Boselaphus Tragocamelus) भी भारत का निवासी है लेकिन यह ४ फुट ऊँचा और भूरे रंग का होता है। इसके नर पुराने हो जाने पर निलछोंह सिलेटी रंग के हो जाते हैं। नर के माथे पर ८-९ इंच के सींग रहते हैं।

दूसरे उपकुल (Kobines) - में अफ्रीका के बाटर और रीड हरिण (Water Buck and Reed Buck) आते हैं। इनकी सींगें जो केवल नरों को होती हैं टेढ़ी और बिना घुमाव के हाती हैं।

वाटर बक (Kobus ellipsi prymnus) ४ फुट ऊँचे और गाढ़े भूरे रंग के होते हैं। ये पानी और कीचड़ के निकट रहते हैं।

रीड बक (Redunca arundinacea) ये २ फुट ऊँचे सिलेटी रंग के हरिण हैं जो पहाड़ियों पर पाए जाते हैं।

तीसरे उपकुल (Aepycerines) - में अफ्रीका के इंपाला (Impala) हरिण हैं।

इंपाला (Aepyceros melampus) कत्थई रंग के तीन फुट से कुछ ऊँचे हरिण हैं जो झाड़ियों से भरे मैदानों में रहते हैं। नर को लबीं धारीदार सींगें रहती हैं।

चौथे उपकुल (Bubalines) - में अफ्रीका के हार्ट बीस्ट (Hart beest) और वाइल्ड बीस्ट (wild beest) नाम के हरिण हैं। जो भारी कद के और खुले मैदानों में रहनेवाले जीव हैं।

वाइल्ड बीस्ट या नू (Gnu, Gorgon taurinus) ४ फुट का हल्के बादामी रंग का हरिण है।

पाँचवें उपकुल (Gazellines) - में अफ्रीका और भारत के मझोले कद के हरिण हैं, जो खुले हुए मैदानों में रहना अधिक पसंद करते हैं। इनमें चिकारा और मृग प्रसिद्ध हैं।

चिकारा (Gazella quanti) पूर्वी अफ्रीका के निवासी हैं जो ३ फुट ऊँचे और घुमावदार सींगों वाले हरिण हैं।

मृग - (Antilope cerircapra) भारत के २ फुट ऊँचे भूरे रंग के प्रसिद्ध हरिण हैं जिनके नर पुराने होने पर काले हो जाते हैं - सींगें लंबी और घुमावदार होती हैं।

छठे उपकुल - (Cephalophine) में अफ्रीका के डुइकर (Dui Kers) हरिण हैं जो करीब ३० इंच ऊँचे होते हैं जिनकी सीग सीधी और नोकीली होती हैं, जो नर मादा दोनों के रहती हैं।

सातवें उपकुल - (Neo traqine) में ओरोबी (Oribi ourelei) नाम के अफ्रीका निवासी छोटे हरिण हैं जो डेढ़ फुट ऊँचे और हल्के भूरे रंग के होते हैं।

आठवें उपकुल - (Oreo traqine) में अफ्रीका के क्लिपस्पिंगर (Klip Springer Oveotragus Oveotragus) नाम के १ फुट ऊँचे बादामी रग के हरिण हैं।

नवें उपकुल - (Madoquine) में डिक डिक (Dik Dik) (Madoqua Sattiana) नाम के सवा फुट ऊँचे छोटे हिरण हैं जो पहाड़ियों पर चढ़ने में उस्ताद होते हैं।

दसवें उपकुल - (Pantholopine) ये हमारे देश का चेरू (Cheru, Pantholops hodqsoni) नाम का २ फुट ऊँचा प्रसिद्ध पहाड़ी हिरण है जिसकी सींग काफी लंबी होती है।

ग्यारहवें उपकुल - (Saiqine) में मध्य एशिया के सैगा (Saiga tatarica) नाम के ढाई फुट ऊँचे हलके बादामी रंग के हरिण हैं जो जाड़ों में सफेद हो जाते हैं इनकी सींग सीधी और धरारेदार होती हैं।

बारहवें उपकुल (Rupicaprine) - में एशिया के शेमाइज Chamois (Rupicapra Rupicapra) नाम के २ फुट ऊँचे भूरे रंग के हरिण हैं जिनके नर मादा दोनों की सींगें सिरे पर पीछे की ओर मुड़ी रहती हैं।

चीतल, कृष्ण सार, चौसिंहा, काकर, पाढ़ा, तथा बारहसिंगा के विवरण के लिए देखें शिकार। (सुरेश सिंह कुँअर)