हस्तिनापुर स्थिति : २८ उ. अ. तथा ७८ पू. दे.। चंद्रवंशीय हस्ति नामक राजा का बसाया हुआ नगर है। महाभारत में इसे पांडवों की राजधानी कहा गया है।

राजा परीक्षित की यह राजधानी थी। बाद में राजधानी कौशांबी चली गई जो मरेठ से २२ मील दूर है। कार्तिक पूर्णिमा को यहाँ बड़ा मेला लगता है। यह प्रसिद्ध जैन तीर्थ भी है। आदि तीर्थकर वृषभदेव को राजा श्रेयांस ने यहीं इक्षुरस का दान किया था। इसलिए इसे दानतीर्थ भी कहते हैं। इसके पास ही मसूमा गाँव में प्राचीन जैन प्रतिमाएँ हैं।