हब्शी मानव जाति को तीन मुख्य जातीय विभागों में बाँटा जा सकता है : काकेसियाई या 'श्वेत' वर्ण के लोग, मंगोलियाई या 'पीत' वर्ण के लोग और नीग्रोई अर्थात् हब्शी या 'काले' वर्ण के लोग। मानव जाति की पूरी हब्शी आबादी सारे अफ्रीका में फैली हुई हैं; साथ ही इस जाति के लोग महासागरीय भागों में भी पाए जाते है। हब्शी जाति के लोग दो प्रकार के हैं : लंबे हब्शी और नाटे कद के हब्शी, जो कांगो के बौनों की तरह होते हैं। असली हब्शी का चेहरा आगे को निकला हुआ, बाल घुँघराले, नाक बड़ी सी तथा चपटी और होंठ मोटा तथा बाहर की ओर मुड़ा हुआ होता है। शरीर हट्टा कट्टा, हाथ लंबे और पैर छोटे होते हैं। ऐसे हब्शी केवल पश्चिम अफ्रीका में कांगों के बेसिन और वहाँ से पूर्व और झीलबहुलक्षेत्र में रहते हैं।

उत्तरी अफ्रीका के हब्शियों के रक्त में गोरी जातियों के रक्त की मिलावट है। इस कारण वे ज्यादा लंबे और अपेक्षाकृत पतले होते हैं। इस समूह के हब्शी, जिन्हें नील तटवर्ती हब्शी कहा जाता है, इथियोपिया और दक्षिण में रोडेशिया होते हुए दक्षिण अफ्रीका तक फैले हुए हैं। दक्षिण की ओर उत्तरोत्तर श्वेत रक्त कम होता गया है।

दक्षिण अफ्रीका के आदिम बुशमैनों को हब्शी जाति में रखा गया है किंतु उनकी शकल सूरत आदि में मंगोलियाई तत्व की भी झलक दिखाई पड़ती है। नीलतटवर्ती हब्शियों ने बुशमैनों को रेगिस्तान से खदेड़ दिया। उन नीलतटवर्ती हब्शियों और बुशमैनों के रक्त मिश्रण से जो संकर जाति बनी वह है करीब करीब बुशमैनों की ही तरह होटेनटॉट, जिसे बुशमैनों के ही वर्ग में रखा जाता है क्योंकि उसमें बुशमैन के लक्षण बहुत अधिक और नील तटवर्ती हब्शियों के लक्षण बहुत कम हैं।

महासागरीय प्रदेश के हब्शी मलयेशिया तथा न्यूगिनी द्वीप में मिलते हैं और पोलिनेशिया की आबादी में उनकी अपनी एक जाति है।

नाटे हब्शी या बौने अफ्रीका और महासागरीय प्रदेश दोनों में ही मिलते हैं। अफ्रीका में वे कांगों बेसिन के भूमध्यरेखावर्ती प्रदेश के घने जंगलों में रहते हैं। वे बहुत ही आदिम हैं, उनकी अपनी कोई भाषा नहीं है और वे किसी प्रकार की खेती नहीं करते। वे अपनी वनवस्तुओं का हब्शियों की अन्य वस्तुओं से विनिमय करते हैं। महासागरीय प्रदेश में नाटे कद के हब्शी अंडमान द्वीप में भी पाए जाते हैं और वे मलय के सेमांगों की तरह हैं। नाटी जाति के हब्शी तत्व दक्षिण भारत की कुछ पहाड़ी जनजातियों, न्यूगिनी, और फिलीपीन में भी हैं।

हब्शियों के मूल के विषय में अभी भी बहुत विवाद है। उनके सबसे पुराने प्रकार का पता इतालवी औरिगनेशियन (पूर्व प्राचीन पाषाणयुग का एक चारण) के ग्रिमाल्डी अस्थिपंजरों से और केनिया के पूर्व औरिगनेशियन युग में मिलता है।

अफ्रीकी और महासागरीय दोनों ही के नाटे हब्शी यद्यपि एक दूसरे से इतनी दूर हैं, फिर भी उनकी शारीरिक बनावट उल्लेखनीय रूप से एक ही तरह की है। इससे ऐसा आभास मिलता है कि इनका उद्गम एक ही रहा है।

दक्षिण अफ्रीका के बुशमैन होटेनटॉट लोग, भौतिकीय, नृविज्ञानवेत्ताओं के मतानुसार, वहाँ प्रातिनूतनयुग (Pleistocene times) से ही रह रहे हैं। उनमें कुछ ऐसे लक्षण मिलते हैं जो प्रकट करते हैं कि उनकी उत्पत्ति किसी आदिम मंगोलियाई जाति से हुई।

एक जाति के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की सबसे महत्वपूर्ण घटना आधुनिक काल में हुईं, जब हब्शियों के समूह के समूह गुलामों की बिक्री करनेवाले स्पेनिश व्यापारियों द्वारा अमरीका ले जाए गए। किंतु अधिकांश देशों में हब्शी अधिक समय तक गुलाम नहीं रहे। हेती में तो वे कुछ समय के लिए सबसे प्रभावशाली वर्ग बन गए। वे बहुत तेजी से-ब्राजील और मेक्सीको के निवासियों में विलीन हो गए। किंतु संयुक्त राज्य में उनका बिल्कुल अलग अस्तित्व कायम रहा।

१८४० में ब्रिटेन और उसकी बस्तियों में दासप्रथा अवैध घोषित कर दी गई। फ्रांस ने १८४८, रूस और हालैंड ने १८६३ और पुर्तगाल ने १८७८ में दासता का अंत किया। किंतु अमरीका में दक्षिणी राज्यों के गोरे जमीदारों ने, जिनकी तंबाकू और कपास की लंबी खेती हब्शियों के श्रम से होती थी, दासप्रथा समाप्त नहीं की। दासताविरोधी आंदोलन ने जोर पकड़ा। कुछ दक्षिण राज्य संघ से पृथक् हो गए और उत्तरी राज्यों की विजय हुई और १८६३ की ''मुक्ति घोषणा'' द्वारा दासता समाप्त कर दी गई। अब यद्यपि हब्शी अमरीका का स्वतंत्र नागरिक बन गया, फिर भी अपनी विलक्षण शकल सूरत और रंग के कारण वह कटु सामाजिक द्वेष का भागी बना रहा। अमरीकी हब्शी का अमरीका के संगीत, कला और नाटक पर काफी प्रभाव पड़ा है। अमरीकी हब्शी ने महान् संगीतज्ञ और महान् खिलाड़ी की मान्यता प्राप्त की है। जेसी ओवेन्स आधुनिक युग के सबसे बड़े व्यायाम-पराक्रमी थे; पाल राबसन और मैरियन एंडरसन का संगीत सारे विश्व ने सुना और सराहा है। विश्व के एक सबसे बड़े 'हेवीवेट बॉक्सर' के रूप में जो लुई कथा के विषय बन गए हैं।

अफ्रीका में हब्शी यद्यपि तेजी से स्वतंत्रता प्राप्त करते जा रहे हैं तथापि दक्षिण अफ्रीका गोरों को तो सभी सुविधाएँ देता है किंतु अश्वेतों को नहीं। दक्षिण अफ्रीका की यह रंगभेद नीति विश्व जनमत के कड़े विरोध के कारण काफी कमजोर हो गई है। (मुहम्मद यासीन)