हकीकत राय (सन् १७२४-४१) स्यालकोट (पश्चिमी पाकिस्तान) निवासी भागमल का धर्मपरायण एकमात्र पुत्र। मौलवी साहबकी मकतब से अनुपस्थिति में हकीकत के सहपाठियों ने हिंदू देवी दुर्गा को गाली दी। विरोध में हकीकत ने कहा 'यदि मैं मुहम्मद साहब की पुत्री फ़ातिमा के विषय में ऐसी ही अपमानजनक भाषा प्रयुक्त करूँ तो तुम लोगों को कैसा लगे? मौलवी साहब के समक्ष तथा स्यालकोट के शासक अमीर बेग की अदालत में हकीकत ने सच्ची बात कह सुनाई। तब भी मुल्लाओं की सम्मति ली गई। उन्होंने इस्लाम के अपमान का विचार भी मृत्युदंड ठहराया। लाहोर के सूबेदार खानबहादुर (जकरिया खान) की कचहरी में भी यही निर्णय बहाल रहा। मुल्लाओं के सुझाव के अनुसार प्राण रक्षा का अकेला साधन था - इस्लाम ग्रहण करना। पिता का अनुरोध, माता गौराँ एवं अल्पवयस्का पत्नी दुर्गा के आँसू भी हकीकत को टस से मस न कर सके। माघ सुदी पंचमी को हकीकत को फाँसी दे दी गई। लाहौर से दो मील पूर्व दिशा में हकीक़तराय की समाधि बनी हुई है।
सं. ग्रं. - काह्न सिंह : गुरुशब्द रतनाकर। महान कोश (इंसाइक्लोपीडिया ऑव सिख लिटरेचर), द्वितीय संस्करण, १९६० ई. (भाषा विभाग, पंजाब, पटियाला); कल्याण (बालक अंक), वर्ष २७, संख्या १ (गीता प्रेस, गोरखपुर) (नवरत्न कपूर)