स्विफ्ट, जोनाथन (१६६७-१७४५) तीखे व्यंग्य का जैसा निर्मम प्रहार स्विफ्ट की रचनाओं में मिलता है वैसा शायद ही कहीं अन्यत्र मिले। इनका जन्म आयरलैंड के डबलिन नगर में हुआ था। पंद्रह वर्ष की अवस्था में इन्होंने डबलिन के ट्रिनिटी कालेज में प्रवेश किया। कालेज छोड़ने के साथ ही इन्होंने सर विलियम टेंपुल के यहाँ उनके सेक्रेटरी के रूप में काम करना प्रारंभ किया और उनके साथ सन् १६९९ ई. तक रहे। वह समय दलगत राजनीति की दृष्टि से बड़े कशमश का था और स्विफ्ट ने ह्विग पार्टी के विरुद्ध डोरी दल का साथ दिया। ये एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति थे। टोरी सरकार से इन्होंने अपनी सेवाओं के पुरस्कारस्वरूप बड़ी आशाएँ की थीं जो पूरी नहीं हुई। जीवन के अंतिम दिन निराशा और दु:ख में बीते।

स्विफ्ट की प्रारंभिक आकांक्षा कवि होने की थी, लेकिन इनकी साहित्यिक प्रतिभा अंतत: व्यंग्यात्मक रचनाओं में मुखरित हुई। इनकी पहली महत्वपूर्ण कृति 'बैटल ऑव द बुक्स' सन् १६९७ में लिखी गई लेकिन सन् १७०४ में बिना लेखक के नाम के छपी। इस पुस्तक में स्विफ्ट ने प्राचीन तथा आधुनिक लेखकों के तुलनात्मक महत्व पर व्यंग्यात्मक शैली में अपने विचार व्यक्त किए हैं। जहाँ एक ओर प्राचीन लेखकों ने मधुमक्खी की तरह प्रकृति से अमृततुल्य ज्ञान का संचय किया, आधुनिक लेखक मकड़ी की तरह अपने ही आंतरिक भावों का ताना बाना प्रस्तुत करते हैं।

इनकी दूसरी महत्वपूर्ण रचना 'द टेल ऑव ए टव' भी सन् १७०४ में गुमनाम ही छपी। इस पुस्तक में स्विफ्ट ने रोमन चर्च एवं डिसेंटर्स की तुलना में अंग्रेजी चर्च को अच्छा सिद्ध करने का प्रयत्न किया।

स्विफ्ट का 'गुलिवर्स ट्रैवेल्स' अंग्रेजी साहित्य की सर्वोत्तम रचनाओं में से है। गुलिवर एक साहसी यात्री है जो नए देशों की खोज में ऐसे ऐसे स्थानों पर जाता है जहाँ के लोग तथा उनकी सभ्यता मानव जाति तथा उसकी सभ्यता से सर्वथा भिन्न हैं। तुलनात्मक अध्ययन द्वारा स्विफ्ट ने मानव समाज-व्यवस्था, शासन, न्याय, स्वार्थपरता के परिणामस्वरूप होनेवाले युद्ध आदि पर तीव्र प्रहार किया। प्राय: उनका रोष संयम की सीमा का अतिक्रमण कर जाता है। कहीं कहीं ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन्हें मानव जाति से तीव्र घृणा हो। कतिपय आलोचकों ने स्विफ्ट की घृणा का कारण उनके जीवन की असफलताओं को बताया है। लेकिन इस महान् लेखक को व्यक्तिगत निराशा की अभिव्यक्ति करनेवाला मात्रा स्वीकार करना उसके साथ अन्याय करना होगा। स्विफ्ट ने 'गुलिवर्स ट्रैजेल' में समाज एवं शासन की बुराइयों पर तीखा व्यंग्य करने के साथ ही साथ सत्य और न्याय के ऊँचे आदर्शों की स्थापना भी की और इसी कारण इनकी गणना अंग्रेजी साहित्य के महानतम लेखकों में है। (तुलसीनारायण सिंह)