स्वर्गदूत मनुष्य की सृष्टि के पूर्व ईश्वर ने अभौतिक एवं अशरीरी आत्माओं की सृष्टि की थी, ऐसा ईसाइयों का विश्वास है। ये आत्माएँ स्वर्गदूत, देवदूत अथवा फरिश्ते हैं। उनमें से एक दल ने शैतान के नेतृत्व में ईश्वर के प्रति विद्रोह किया था, वे नरक में डाले गए और नरक दूत कहलाए (दे. 'शैतान', 'नरक')।

बाइबिल में बहुत से स्थलों पर देवदूतों की चर्चा है यद्यपि उनमें से केवल तीन का नाम दिया गया है, अर्थात् गब्रीएल, राफाएल और मिकाएल (दे. ग्रबीएल)। देवदत ईश्वर के सेवक हैं, वे उसकी महिमा का गुणगान करते हैं। समय समय पर उसके द्वारा भेजे जाकर यहूदी जाति की रक्षा करते हैं। उत्तरार्ध में वे ईसा के जन्म की घोषणा करते हैं और उनके अधीन रहकर अनेक प्रकार से मनुष्यों की मुक्ति के कार्य में सहायक बन जाते हैं। ईसा के मरण के बाद वे चर्च के प्रारंभिक कालश् में उनके शिष्यों की रक्षा करते हैं। कयामत के वर्णन में उनके विषय में लिखा है कि वे ईसा के साथ प्रकट हो जाएँगे। (कामिल बुल्के)