स्पेंसर, एडमंड (१५५२-१५९९ ई.) अंग्रेजी साहित्य में कवि के रूप में चॉसर के बाद स्पेंसर का ही नाम आता है। इनका जन्म लंदन में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा मर्चेंट टेलर्स ग्रामर स्कूल में हुई। केंब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने बी. ए. तथा एम. ए. की उपाधियाँ लीं। सन् १५८० में इन्हें लार्ड ग्रेके मंत्री के रूप में आयरलैंड भेजा गया। कुछ साल बाद इनकी प्रशंसनीय सेवा के उपलक्ष में आयरलैंड में ही इन्हें एक जागीर भी मिल गई। यहीं उन्होंने अपने सर्वोत्तम ग्रंथ 'फ़ेयरी क्वीन' की रचना प्रारंभ की। तत्पश्चात् इसके तीन सर्ग लंदन में प्रकाशित हुए तथा महारानी ने स्पेंसर के लिए पचास पौंड वार्षिक पेंशन की स्वीकृति दी।
चॉसर और स्पेंसर के बीच का लगभग डेढ़ सौ वर्षों का समय अंग्रेजी कविता के लिए बड़ा ही शोचनीय रहा। मौलिक प्रतिभा का कोई भी कवि देखने को नहीं मिलता। यूरोपीय पुनर्जागरण ने प्राचीन ग्रीक और लैटिन साहित्य को लोगों के सामने लाकर साहित्यिक प्रतिभा के प्रस्फुरण के लिए वातावरण तो अवश्य तैयार किया लेकिन इसका एक भयावह परिणाम भी हुआ। क्लासिकी भाषाओं एवं साहित्य की चकाचौंध में आकर कवियों ने उन्हें दी आदर्श मानकर साहित्यसर्जन प्रारंभ किया। ये लोग क्लासिकी भाषाओं की तुलना में अपनी भाषा को तिरस्कार की दृष्टि से देखने लगे।
कवि के रूप में स्पेंसर रेनेसाँ युग की नई राष्ट्रीयता के प्रतीक हैं। क्लासिकी साहित्य के किसी प्रख्यात कवि को नहीं वरन् अपने ही देश के कवि चॉसर को इन्होंने अपना आदर्श माना। इन्हें अंग्रेजी भाषा, जो कविता के लिए सर्वथा अनुपयुक्त समझी जाती थी, सजा सँवारकर नए शब्दों एवं छंदों से अलंकृत करना था। इसके लिए इन्होंने कठोर परिश्रम द्वारा अन्य भाषाओं एवं साहित्य का अध्ययन किया। इसीलिए इनकी कविता में अंत:प्रेरणा के साथ ही साथ प्रकांड विद्वत्ता एवं अध्ययनशीलता की भी झलक है। यह जाने हुए कि इनकी प्रथम मौलिक रचना 'शोपर्ड्स कैलेंडर' लोगों के लिए बिल्कुल नई चीज होगा, इन्होंने अपने मित्र एडवर्डकर्क द्वारा उसकी विस्तृत व्याख्या की व्यवस्था की। एडवर्ड कर्क ने स्पेंसर को 'नए कवि' की संज्ञा दी और काव्यसंबंधी इनके उद्देश्यों को घोषित किया।
स्पेंसर की कविता, विशेष रूप से 'फेयरी क्वीन' महारानी एलिजाबेथ की प्रशंसा से ओतप्रोत है। महारानी एलिजाबेथ ने न केवल देश के भीतर षड्यंत्रकारियों को दबाकर अमन चैन कायम किया वरन् बाहरी शत्रुओं से भी उसकी रक्षा की। इंग्लैंड ने जैसी राष्ट्रीयता एकता का अनुभव उनके शासनकाल में किया, वैसा पहले कभी नहीं किया था। स्वाभाविक रूप से वे ब्रिटिश राष्ट्रीयता का प्रतीक सी बन गई और कवियों के लिए उनकी प्रशस्ति गाना राष्ट्रीय चेतना को ही व्यक्त करना था।
रेनासाँ का एक अन्य प्रभाव भी स्पेंसर की कविता में देखने को मिलता है। यह है भौतिक जगत् की सभी सुंदर वस्तुओं के प्रति उनका आकर्षण। नारी सौंदर्य के तो वे श्रद्धालु पुजारी थे। प्लेटो की ही भाँति उन्होंने शारीरिक सौंदर्य को आत्मिक सौंदर्य एवं पवित्रता की अभिव्यक्ति माना। उनके अनुसार किसी भी सुंदर वस्तु से सात्विक प्रेम करने में कोई पाप नहीं। जैसे सौंदर्य पवित्र होता है वैसे ही प्रेम भी। अध्यात्म एवं नैतिकता से बोझिल मध्ययुग के बाद स्थूल सौंदर्य के प्रति यह अनुराग एक नई चीज थी।
लेकिन जहाँ एक ओर स्पेंसर में हमें आधुनिक युग की कुछ प्रमुख प्रवृत्तियाँ देखने को मिलती हैं, वहीं दूसरी ओर उनका काव्य कतिपय मध्ययुगीन मान्यताओं के बंधन से भी मुक्त नहीं। धर्म एवं नैतिकता के व्यापक प्रभाव के कारण मध्ययुग में साहित्यसर्जन का प्रमुख उद्देश्य जनसाधारण को सदाचार की शिक्षा देना समझा जाता था। कवि मनोरंजन के लिए नहीं, समाज एवं व्यक्ति के चारित्रिक उत्थान के लिए लिखता था। स्पेंसर ने भी सर्वोत्तम ग्रंथ 'फ़ेयरी क्वीन' की रचना इसी महान् उद्देश्य से की।
मध्ययुग में रूपक नैतिकता की शिक्षा देने का सर्वोत्तम माध्यम समझा जाता था। स्पेंसर ने भी रूपक शैली को ही उपयुक्त समझा। साथ ही साथ उन्होंने तत्कालीन राजनीति तथा शासन से संबंधित प्रमुख व्यक्तियों की भी आलोचना की। खुले रूप में ऐसा करना संकट मोल लेना होता है। रूपक का सहारा लेकर वे कानून की चपेट में आए बिना जो चाहते, कह सकते थे।
स्पेंसर का सर्वोत्तम ग्रंथ 'फ़ेयरी क्वीन' शब्दचित्रों से भरा है। जो सफलता चित्रकार अपनी तूलिका द्वारा प्राप्त करता है, वह इन्होंने अपनी असाधारण वर्णनशैली द्वारा प्राप्त की। सौंदर्य का वर्णन करते समय थोड़ी देर के लिए ये अपना मौलिक उद्देश्य भूलकर उसी में तन्मय हो जाते हैं। लेकिन भद्दी और हृदय में घृणा एवं भय उत्पन्न करनेवाली वस्तुओं को मूर्त रूप देने में भी उनकी लेखनी वैसा ही जादू दिखाती है। (तुलसीनारायण सिंह)