स्तालिन, जोज़फ़, विसारिओनोविच (१८७९-१९५३) स्तालिन का जन्म जॉर्जिया में गोरी नामक स्थान पर हुआ था। उसके माता पिता निर्धन थे। जोज़फ़ गिर्जाघर के स्कूल में पढ़ने की अपेक्षा अपने सहपाठियों के साथ लड़ने और घूमने में अधिक रुचि रखता था। जब जॉर्जिया में नए प्रकार के जूते बनने लगे तो जोज़फ़ का पिता तिफ्लिस चला गया। यहाँ जोज़फ़ को संगीत और साहित्य में अभिरुचि हो गई। इस समय तिफ्लिस में बहुत सा क्रांतिकारी साहित्य चोरी से बाँटा जाता था। जोज़फ़ इन पुस्तकों को बड़े चाव से पढ़ने लगा। १९ वर्ष की अवस्था में वह मार्क्स के सिद्धांतों पर आधारित एक गुप्त संस्था का सदस्य बना। १८९९ ई. में इसके दल से प्रेरणा प्राप्त कर काकेशिया के मजदूरों ने हड़ताल की। सरकार ने इन मज़दूरों का दमन किया। १९०० ई. में तिफ्लिस के दल ने फिर क्रांति का आयोजन किया। इसके फलस्वरूप जोज़फ़ को तिफ्लिस छोड़कर बातूम भाग जाना पड़ा। १९०२ ई. में जोज़फ़ को बंदीगृह में डाल दिया गया। १९०३ से १९१३ के बीच उसे छह बार साइबेरिया भेजा गया। मार्च १९१७ में सब क्रांतिकारियों को मुक्त कर दिया गया। स्तालिन ने जर्मन सेनाओं को हराकर दो बार खार्कोव को स्वतंत्र किया और उन्हें लेनिनग्रेड से खदेड़ दिया।
१९२२ में सोवियत समाजवादी गणराज्यों का संघ बनाया गया और स्तालिन उसकी केंद्रीय उपसमिति में सम्मिलित किया गया। लेनिन और ट्रॉट्स्की विश्वक्रांति के समर्थक थे। स्तालिन उनसे सहमत न था। जब उसी वर्ष लेनिन को लकवा मार गया तो सत्ता के लिए ट्रॉट्स्की और स्तालिन में संघर्ष प्रारंभ हो गया। १९२४ में लेनिन की मृत्यु के पश्चात् स्तालिन ने अपने को उसका शिष्य बतलाया। चार वर्ष के संघर्ष के पश्चात् ट्रॉट्स्की को पराजित करके वह रूस का नेता बन बैठा।
१९२८ ई. में स्तालिन ने प्रथम पंचवर्षीय
योजना की घोषणा की। इस योजना के तीन मुख्य उद्देश्य थे
- सामूहिक कृषि, भारी
उद्योगों की स्थापना, और नए श्रमिक समाज का निर्माण। सरकार
सामूहिक खेतों में उत्पन्न अन्न को एक निश्चित दर पर खरीदती
थी और ट्रैक्टर किराए पर देती थी। निर्धन और मध्य वर्ग के
कृषकों ने इस योजना का समर्थन किया। धनी कृषकों ने इसका
विरोध किया किंतु उनका दमन कर दिया गया। १९४० ई. में ८६%
अन्न सामूहिक खेतों में, १२ %
सरकारी फार्मों में और केवल १
%
व्यक्तिगत किसानों के खेतों में उत्पन्न होने लगा। इस प्रकार
लगभग १२ वर्षों में रूस में कृषि में यह क्रांतिकारी परिवर्तन
हो गया। उद्योगों का विकास करने के लिए तुर्किस्तान में बिजली
का उत्पादन बढ़ाया गया। नई क्रांति के फलस्वरूप १९३७ में केवल
१०% व्यक्ति अशिक्षित रह गए जबकि १९१७
से पूर्व ७९% व्यक्ति अशिक्षित
थे।
स्तालिन साम्यवादी नेता ही न था, वह राष्ट्रीय तानाशाह भी था। १९३६ में १३ रूसी नेताओं पर स्तालिन को मारने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया गया और उन्हें प्राणदंड दिया गया। इस प्रकार स्तालिन ने अपना मार्ग निष्कंटक कर लिया। १९३७ तक मजदूर संघ, सोवियत और सरकार के सभी विभाग पूर्णतया उसके अधीन हो गए। कला और साहित्य के विकास पर भी स्तालिन का पूर्ण नियंत्रण था।
१९२४ में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने रूस की सरकार को मान्यता दे दी। १९२६ में सोवियत सरकार ने टर्की और जर्मनी आदि देशों से संधि की। १९३४ ई. में रूस राष्ट्रसंघ का सदस्य बना। जब जर्मनी ने अपनी सैनिक शक्ति बढ़ा ली तो स्तालिन ने ब्रिटेन और फ्रांस से संधि करके रूस की सुरक्षा का प्रबंध किया। किंतु ब्रिटेन ने जब म्यूनिक समझौते से जर्मनी को मागें मान ली तो उसने १९३९ में जर्मनी के साथ तटस्थता की संधि कर ली। द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रारंभ में रूस ने जर्मनी का पक्ष लिया। जब जर्मनी ने रूस पर आक्रमण किया तो ब्रिटेन और अमरीका ने रूस की सहायता की। १९४२ में रूस ने जर्मनी को आगे बढ़ने से रोक दिया और १९४३-४४ में उसने जर्मनी की सेनाओं को पराजित किया। १९४५ में स्तालिन ने अपने आपको जेनरलिसिमो (generalissimo) घोषित किया।
फरवरी, १९४५ में याल्टा सम्मेलन में रूस को सुरक्षा परिषद् में निषेधाधिकार दिया गया। चेकोस्लोवाकिया से चीन तक रूस के नेतृत्व में साम्यवादी सरकारें स्थापित हो गई। फ्रांस और ब्रिटेन की शक्ति अपेक्षाकृत कम हो गई। १९४७ से ही रूस और अमरीका में शीत युद्ध प्रारंभ हो गया। साम्यवाद का प्रसार रोकने के लिए अमरीका ने यूरोपीय देशों की आर्थिक सहायता देने का निश्चय किया। उसी वर्ष रूस ने अंतरराष्ट्रीय साम्यवाद संस्था को पुनरुज्जीवित किया। स्तालिन के नेतृत्व में सोवियत रूस ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। वस्तुओं का उत्पादन बहुत बढ़ गया और साधारण नागरिक को शिक्षा, मकान, मजदूरी आदि जीवन की सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हो गईं।