स्ट्रांशियम (Strontiam) क्षारीय मृत्तिका तत्वों का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। इसके दो अन्य सदस्य बेरियम और कैलसियम हैं। स्ट्रांशियम, बेरियम और कैल्सियम के मध्य आता है। इसका संकेत, स्ट्रौं, Sr, परमाणुसंख्या ३८, परमाणुभार ८७.६३, घनत्व २.५४, गलनांक ८००� सें. और क्वथनांक ११,५००� सें. है। इसके चार समस्थानिक, जिनकी द्रव्यमान संख्या ८४, ८६, ८७ और ८८ हैं, पाए गए हैं। तीन रेडियोऐक्टिव समस्थानिक, जिनकी द्रव्यमान संख्या ८५, ८७ और ८९ है, कृत्रिम विधि से प्राप्त हुए हैं। स्काटलैंड के स्ट्रांशियान में पाए जाने के कारण इसका नाम स्ट्रांशियम पड़ा। इसके परमाणु में इलेक्ट्रान चार कक्षाओं में वितरित हैं और एक बाह्यतम कक्ष होता है जिसमें दो संयोजक इलेक्ट्रान रहते हैं। यह सदा ही द्विसंयोजक लवण बनता है।
स्ट्रांशियम धातु और इसके लवणों के गुण बेरियम और कैल्सियम धातुओं और उनके लवणों के गुणों से बहुत समानता रखते हैं। उनके प्राप्त करने की विधियाँ भी प्राय: एक सी ही हैं।
स्ट्रांशियम के प्रमुख खनिज स्ट्रांशिएनाइट (Strontianite), कार्बोनेट और सेलेस्टाइट (Celestite) सल्फेट हैं। इनके निक्षेप अनेक देशों, कैलिफोर्निया, वाशिंगटन, टेक्सास, मेक्सिको, स्पेन और इंग्लैंड आदि में पाए जाते हैं। स्ट्रांशियम के लवण, क्लोराइड, ब्रोमाइड, कार्बोनेट, क्लोरेट, नाइट्रेट, हाइड्राक्साइड आदि प्राप्त हुए हैं। क्लोराड द्रावक के रूप में और इस्पात उपचार के लिए लवण ऊष्मक में, कार्बोनेट, क्लोरेट, नाइट्रेट आतिशबाजी में, हाइड्राक्साइड, छोआ से शर्करा प्राप्त करने में, काम आते हैं। नाइट्रेट संकेतप्रकाश में भी काम आता है। स्ट्रांशियम का लैक्टेट मंद रोगाणुरोधक, ज्वरनाशी और पीड़ाहारी होता है।
हाइड्राक्साइ स्फुरदीप्त, प्रतिदीप्त प्रकाशन युक्तियों एवं लोमनाशक ओषधियों के निर्माण में प्रयुक्त होता है। स्ट्रांशियम के लवण इनेमल, ग्लेज़ और काँच के निर्माण में भी काम आते हैं। (सत्येंद्र वर्मा)