स्टिफेंसन, जॉर्ज (Stephenson George; सन् 1781-1848) अंग्रेज इंजीनियर, का जन्म निउकासल के पास वाइलैम (Wylam) में हुआ था। इनके पिता पंप चलानेवाले इंजन में कोयला झोंकने का काम करते थे। इनका बालपन मजूरी करते बीता। १७ वर्ष की आयु में दूसरा काम करते हुए, इन्होंने रात्रिपाठशाला में शिक्षा प्राप्त करनी आरंभ की। २१ वर्ष की आयु में ये इंजन चलाने के काम पर नियुक्त हुए और खाली समय में घड़ियों की मरम्मत कर कुछ उपार्जन करते रहे।
सन् १८१२ में इन्हें इंजिन के मिस्त्री का काम मिला। तीन वर्ष बाद इन्होंने खनिकों के सुरक्षा (Safety) लैंप का आविष्कार लगभग उसी समय किया जब हम्फ्री डेवी ने। इस आविष्कार के श्रेय के संबंध में विवाद उठ खड़ा हुआ, किंतु इससे इनकी प्रसिद्धि हुई। सन् १८१४ में इन्होंने अपना प्रथम चल इंजन बनाया, जिससे एक ट्राम चलाने का काम लिया जाने लगा। सन् १८२१ में ये स्टॉक्टन नथा डार्लिंगटन रेलवे में इंजीनियर तथा पाँच वर्ष बाद लिवरपूल-मेचेस्टर रेलवे के मुख्य इंजीनियर नियुक्त हुए। इन रेलों की गाड़ियाँ घोड़े खींचते थे। रेलवे के निदेशकों को इन्होंने माप से चलनेवाले इंजन के प्रयोग का सुझाव दिया और उनकी स्वीकृति पर 'रॉकेट' नामक प्रथम रेल इंजन बनाया, जो बहुत सफल रहा। इस सफलता के कारण, रेलों का विशेष विकास हुआ, जिसमें स्टिफेंसन ने प्रमुख भाग लिया और बहुत धन कमाया। निउकासल में रेल के इंजन बनाने का कारखाना सन् १८१३ में खोला, जिसमें इन्होंने अनेक इंजन बनाए और सैकड़ों किमी लंबी रेलों के बनाने के काम का संचालन किया।
इनकी ख्याति रेल इंजन के जन्मदाता होने के कारण है। (भगवान दास वर्मा)