स्कर्वी (Scurvy) रोग शरीर में विटामिन 'सी' की कमी के कारण होता है। इसकी कमी से केशिका (Capillary) की पारगम्यता बढ़ जाती है। वैसे तो किसी भी अवस्था के व्यक्ति में इस रोग के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, परंतु प्राय: ८ से १२ माह के शिशु में, जिसे प्रारंभ से माँ के दूध के स्थान पर पाउडर का दूध आदि दिया जाता है, मिलते हैं। रोग के लक्षण प्राय: धीरे धीरे प्रकट होते हैं। त्वचा एवं परिअस्थिक (perosteum) के नीचे रक्त स्राव होने के कारण बच्चा हाथ पैर हिलाने या छूने से रोने लगता है। आँखों के निकट त्वचा के नीचे रक्तस्राव होने से ललाई और सूजन आ जाती है आँख के पीछे रक्तस्राव होने से आँख की पुतली आगे को उभर आती है। मसूड़ों, आँतों तथा पेशाब की राह खून आने लगता है। हल्का हल्का ज्वर हो जाता है जिससे नाड़ी की गति कुछ तीव्र हो जाती है। रक्तक्षय से बच्चा पीला एवं कमजोर हो जाता है।
रोग के निश्चित निदान में रक्त की परीक्षा में विंवाणुगणन की संख्या, स्कंधन तथा रक्तस्राव में कोई परिवर्तन नहीं होता। अदृश्य किरणों से हड्डियों के सिरों पर सूजन और सफेद रेखा दिखलाई देती है।
इस रोग की रोकथाम के लिए जिन शिशुओं को माँ का दूध उपलब्ध नहीं हो पाता उनको विटामिन सी, फलों विशेषत: संतरे और टमाटर का रस जन्म से ही देना चाहिए। रोग के उपचार में फलों का रस एवं ऐस्कार्बिक अम्ल दिया जाता है। (हरिबाबू माहेवरी)