सैरागॉसा सागर (Saragossa Sea) कैनरी द्वीपों (Canary Islands) से २,००० मील पश्चिम, उत्तरी ऐंटलैंटिक महासागर का एक भाग है। स्थूलत: यह २० से ४० उत्तरी अक्षांश तथा ३५ से ७५ पश्चिमी देशांतर तक, २०,००,००० वर्ग मील में विस्तृत है, अर्थात् इसका क्षेत्रफल समस्त भारत के क्षेत्रफल के डेढ़ गुने से भी अधिक है।

स्पेनीय शब्द ''सैरागॉसा'' का अर्थ समुद्री घासपात होता है। इस विशाल सागरक्षेत्र का यह नाम इसलिए पड़ा कि यह घासपात के खंडों से भरा हुआ है। इन खंडों से प्राचीन काल के सागर यात्रियों को फैले हुए खेतों का भ्रम हुआ और उनमें अनेक जहाजों के फँसकर अचल हो जाने और सड़कर नष्ट हो जाने की कल्पित कहानियाँ फैल गईं।

वैज्ञानिकों का पहले यह ख्याल था कि इस समुद्र का घासपात निकटतम भूमि या छिछले समुद्रतल से आता होगा। किंतु सागर वहाँ पर दो से चार मील तक गहरा है और भूमि बहुत दूर है। चतुर्दिक् के समुद्रतटों पर उगनेवाली समुद्री घासों तथा यहाँ पाई जानेवाली वनस्पतियों की बनावट और जाति में भी भेद है। अंततोगत्वा इसी निष्कर्ष पर पहुँचना पड़ा की यहाँ की जलीय वनस्पति विशिष्ट प्रकार की है और इसने खुले समुद्र में पनपने योग्य अपने को बना लिया है। इसमें अंगूर की आकृति की थैलियाँ सी लगी होती हैं, जिनमें हवा भरी होती है। इस कारण यह जल में तैरती रहती हैं और जल में ही बढ़ती जाती हैं। इसका सबसे सघन भाग केंद्र में है। (भगवान दास वर्मा)