सैबिन, सर एडवर्ड (Sabine, Sir Edward, सन् १७८८-१८८३) अंग्रेज़ भौतिकीविद, खगोलशास्त्री और भूगणितज्ञ, का जन्म डब्लिन में हुआ था तथा इन्होंने वूलिच (Wooluich) की रॉयल मिलिटरी ऐकैडमी में शिक्षा पाई थी।

सन् १८१८ और सन् १८१९ में उत्तरी पश्चिमी मार्ग की खोज के लिए संगठित अभियान में ये खगोलज्ञ नियुक्त हुए थे। इसके पश्चात् इन्होंने अफ्रीका और अमरीका के उष्ण कटिबंधीय सागरतटों की यात्रा, लोलक पर आधारित प्रयोगों द्वारा पृथ्वी की यथार्थ आकृति ज्ञात करने के लिए, की। सन् १८२१ में सेकंडवाले लोलक की लंबाई के अन्वेषण संबंधी प्रयोग आपने लंदन तथा पेरिस में किए। अपने जीवन का अधिकांश इन्होंने चुंबकत्व के अनुंसधान में बिताए। आपके ही प्रयत्नों से पृथ्वी पर अनेक स्थानों में चुंबकीय वेधशालाएँ स्थापित की गईं। सूर्य के धब्बों और पृथ्वी पर चुंबकीय विक्षोभ में संबंध है, यह बात आप ही ने खोज निकाली थी।

सन् १८६१-७१ तक आप रॉयल सोसायटी के अध्यक्ष थे। सन् १८२१ में इस सोसायटी का कॉपलि पदक, सन् १८४९ में रॉयल पदक तथा सन् १८६९ में के. सी. बी. की उपाधि आपको प्रदान की गई। (भगवान दास वर्मा)