सेबास्तिआनो, देल पिओंबो (१४८५-१५४७) बेनेशियन स्कूल का इटालियन चित्रकार। बेनिस में उत्पन्न हुआ। प्रारंभ में संगीत की ओर रुझान, पर बाद में चित्रकला की साधना ही उसके जीवन का ध्येय बन गई। पहले जिओवान्नी बेलिनी और बाद में जिओर्जिओन का वह शिष्य हो गया। वेर्निस के सान जिओवान्नी चर्च में उसने अनेक महत्वपूर्ण चित्रांकन प्रस्तुत किए, किंतु सियना के धनिक व्यापारी द्वारा उसे रोम बुला लिया गया फिर तो माइकेल एंजलो का जबर्दस्त प्रभाव उस पर हावी हो गया। रोम स्थित मोंतारिओ के पियेत्रो चर्च में 'रेज़िंग ऑव लैज़रस' (Raising of Lazarus) उसकी सर्वोत्कृष्ट कृति बन पड़ी जो आजकल लंदन की नेशनल गैलरी में सुरक्षित है।

सेबास्तिआनो ने बाद में विरक्त का बाना धारण कर लिया। वह एक अभी साधक था, पर स्वभाव से कुछ दंभी, प्रमोदी और अपने तईं सीमित। फ्लोरेंटाइन के एक विशाल चित्र 'अंतिम निर्णय' (Last Judgement) पर माइकेल एंजलों से उसका गंभीर मतभेद हो गया। सेबास्तिआनो ने पोप को यह चित्र तैलरंगों में बनाने की सलाह दी। किंतु माइकेल एंजलों ने भित्तिचित्र के रूप में इसे बनाने का आग्रह किया और कहा कि तैलचित्रण औरतों और सेवास्तिआनो जैसे आलसी साधुओं के लिए ही प्रयुक्त है। इस पर परस्पर कटुता आ गई और सेबास्तिआनो मरते दम तक उससे नाराज रहा। उसके कुछ पोट्रेट चित्र भी मिलते हैं जिनमें प्रतिपाद्य से गजब की समानता द्रष्टव्य है। (शची रानी गुर्टू)