सेवक जन्म सं. १८७२ वि.। इनके पूर्व पुरुष देवकीनंदन सरयूपारीण पयासी के मिश्र थे किंतु राजा मझौली की बारात में भाँटों की तरह कबित्त पढ़ने और पुरस्कार लेने के कारण जातिच्युत होकर भाँट बन गए और असनी के नरहरि कवि की पुत्री से विवाह कर वहीं बस गए। कवि ऋषिनाथ के पुत्र ठाकुर, जिन्होंने सतसई पर 'तिलक' की रचना की है, काशी के रसई बाबू देवकीनंदन के आश्रित थे। सेवक ठाकुर के पौत्र तथा कवि धनीराम के पुत्र थे। इनके भाई शंकर भी अच्छे कवि थे। सेवक ऋषिनाथ के प्रपौत्र और बाबू हरिशंकर जी के आश्रित थे। कभी भी कवि ने उन्हें छोड़कर किसी अन्य आश्रयदाता के यहाँ जाना स्वीकार नहीं किया।

इनका 'वाग्विलास' नामक ग्रंथ, जिसमें नायिकाभेद के साथ ही उतने ही नायकभेद भी किए गए हैं, महत्वपूर्ण है। अन्य ग्रंथ 'पीपा प्रकाश', 'ज्योतिष प्रकाश' और 'बरवै नखशिख' हैं। मिश्र बंधुओं ने इनके षट्ऋतु वर्णन की बड़ी प्रशंसा की है और इनकी गणना तोष कवि की श्रेणी में की है। इनकी मृत्यु सं. १९३८ में काशी में हुई।

सं. ग्रं. -मिश्र बंधु: मिश्र बंधु विनोद, भा. ३; आचार्य रामचंद्र शुक्ल: हिंदी साहित्य का इतिहास।

(रामफेर त्रिपाठी.)