सेगांतीनी, जिओवान्नी (१८५८-१८९९) इटालियन कार। चार वर्ष की उम्र में ही माता की मृत्यु। प्िाता भी अबोध बालक जिओवान्नी को अपने किन्हीं संबंधियों के पास छोड़कर मिलान चला गया। उसका बचपन अधिकतर गरीब किसानों, गड़रियों और खेतिहर मजदूरों के साथ बीता। पर प्रकृति की खुली गोद में उन्मुक्त विचरण करने से उसका मन निस्सीम सौंदर्य से ओतप्रोत हो गया। एल्प्स उसे जीवन का सच्चा प्रेरणास्रोत बना। १८८३ में 'एव मेरिया' नामक उसके एक चित्र पर एमस्टरडम प्रदशर्नी में उसे एक स्वर्णपदक प्रदान किया गया। तत्पश्चात् पेरिस में 'ड्रिंक्स ट्रफ' और ट्यूरिन में 'प्लोइंग इन द इंगडाइन' नामक चित्रकृतियों पर भी उसे स्वर्णपदक प्राप्त हुए। ऋतु परिवर्तन और प्राकृतिक दृश्यों की सहज सुषमा के साथ-साथ लगता है जैसे उसकी तूलिका की नोंक पर हर पर्वत पठार की पगडंडी, खेत और खलिहान सजीव हो उठे हैं। हरी-भरी धरती ने उसकी प्राणात्मा का स्पशर् किया है और धूपछाँही वातावरण ने जीवंत रंगों को अधिक व्यंजक बनाया है। प्रतीकात्मक विषयों, जैसे 'अय्याशी की सजा' और 'अस्वाभाविक माताएँ' आदि के चित्रण में भी उसका अथक प्रयत्न प्रशंसनीय है। स्विट्जरलैंड के मालोजा नगर में उसकी मृत्यु हुई, जहाँ के कला संग्रहालय में आज भी उसकी कुछ अधूरी कलाकृतियाँ मौजूद हैं।

(श्ाची रानी गुर्टू)