सेंटाे (केंद्रीय समझौता संघटन) २४ फरवरी, १९५५ को इराक की राजधानी बगदाद में तुर्की, ईरान, इराक और पाकिस्तान को मिलाकर एक समझौता किया गया जिसको 'बगदाद पैक्ट' की संज्ञा दी गई। अमरीका भी अप्रैल, १९५६ में इसमें शामिल हो गया। जुलाई, १९५८ में इराक में क्रांति हो गई और वह इस समझौते से निकल गया। २१ अगस्त, १९५९ में इस करार का नाम 'बगदाद पैक्ट' से बदलकर 'सेंटों' (केंद्रीय समझौता संघटन) हो गया। इसका केंद्रीय कार्यालय भी बगदाद से अंकारा में स्थानांतरित कर दिया गया। इराक के डाक्टर ए.ए. खलात बेरी को इस संघटन का मुख्य सचिव बनाया गया। इस संघटन के बन जाने से इस्लामी राष्ट्रों का गुट बनाने और इसलाम के प्रचार का लक्ष्य पूरा समझा जाने लगा। अप्रैल, १९६० में पाकिस्तान के प्रयास से इस संघटन की संयुक्त कमान भी स्थापित कर दी गई। इसके साथ ही इस संघटन के एशियाई सदस्यों को अनुसंपन्न करने का भी प्रस्ताव था। १९६३ में सदस्य देशों द्वारा संयुक्त सैनिक अभ्यास भी किया गया। इसकी एक बैठक वाशिंगटन में अप्रैल, १९६४ में हुई थी। इस समझौते का प्रमुख उद्देश्य मध्यपूर्व के देशों में साम्राज्यवादी हितों की सुरक्षा करना भी निर्धारित किया गया था। इसीलिए इस्लामी राष्ट्र होते हुए भी इन देशों ने १९६६ में स्वेज नगर के मामले में संयुक्त अरब गणराज्य (इस्लामी राष्ट्र) का विरोध करके अंग्रेजों का समर्थन किया। राष्ट्रीय स्वार्थों के कारण इस्लामी संघटन के लक्ष्य में दरार पड़ गई। इराक १९५८ में ही अलग हो गया था। इधर अरबों ने भी अपना नया संघटन बनाया और मतभेदों के बावजूद एक शक्तिशाली अरब लीग की स्थापना की गई जिससे 'सेंटो' का भविष्य खटाई में पड़ गया। (च. मि.)