सूरी संचारण (Suri-transmission) अपने नवीनतम रूप में सूरी संचारण डीजल रेल कर्षण इकाइयों में शक्ति के संचारण के लिए सरल किंतु अत्यंत सक्षम विधि है। इसमें केवल दो चक्रपथों का उपयोग किया जाता है। एक परिवर्तक योजक (Converter-Coupling) का ब्रौकहाउस प्रकार (Brockhouse Type) और दूसरा द्रव यांत्रिक योजक (Fluid Mechanical Coupling)। वास्तविक सेवा की विशेष आवश्यकताओं के अनुसार परिवर्तक योजक की व्यवस्था की जा सकती है, जिससे यान की गति शून्य से ६०-७- प्रतिशत मार्ग गति तक रह सके। द्रव यांत्रिक योजक उस गति से आगे १०० प्रतिशत यान गति के लिए उपयोग में लाया जाता है।

ब्रौकहाउस परिवर्तक योजक और द्रव यांत्रिक योजक पर प्रतिलोम नियमन (Reverse Governing) से डीजल इंजन के लक्षणों के ऊपर उचित प्रभाव डाल सकने के कारण सूरी संचारण रेल कर्षण में सर्वत्र उपयोग के लिए अत्यंत संतोषजनक विधि है और उच्च अश्वशक्ति के यानों उदाहरणार्थ ४०० से २००० अश्वशक्ति तक के लिए विशेष हितकारी है।

परिवर्तक योजक से द्रव यांत्रिक योजक में चक्रपथ परिवर्तन, डीजल इंजन के पूरे भार और शक्ति की अवस्था में, यान के कर्षण कार्य (Tractive Effort) के किसी भी चरण में, किसी धक्के और रुकावट के बना हो जाता है।

सूरी संचारण की क्षमता वर्णन अत्यंत अधिक है।

इस महत्वपूर्ण आविष्कार का नामकरण, जो रेलों के ईधंन व्यय में बहुत बचत करेगा, उसके आविष्कारक भारतीय रेलों से यांत्रिक इंजीनियर श्री म.म. सूरी के नाम पर हुआ है। (म. म. सू.)