सीमेंट, पोर्टलैंड (Portland Cement) के आविष्कार से पहले तक जोड़ने के काम में लाए जाने वाले पदार्थ साधारण चूना और बुझा चूना थे। पोर्टलैंड सीमेंट का आविष्कार एक अंग्रेज राज जोसेफ एस्पडिन (Joseph Aspdin) ने १८२४ ई. में किया। कठोर हो जाने के गुण तथा इंग्लैंड के पोर्टलैंड स्थान में पाई जाने वाली एक शिला के नाम पर इसका नाम 'पोर्टलैंड' सीमेंट पड़ा।

सीमेंट की विभिन्न किस्में उपलब्ध हैं। साधारण निर्माण कार्य में आम तौर पर पोर्टलैंड सीमेंट ही प्रयुक्त होता है।

पोर्टलैंड सीमेंट का निर्माण चूना पत्थर और जिप्सम के मिश्रण को एक निश्चित अनुपात में मिलाकर १४००सें. ताप पर, जिस ताप पर प्रारंभिक गलन होता है, गरम करने से होता है। ऐसे प्राप्त अवशिष्ट राख (Clinker) को ठंढा कर, फिर पीसकर महीन चूर्ण बनाया जाता है जिसका ९०% भाग चलनी संख्या १७० (एक इंच में १७० छिद्र होते हैं) से छन जाता है। इन तीन कच्चे घटकों के अनुपात को समायोजित करने और अल्प मात्रा में अन्य रसायनकों के मिला देने से सीमेंट की विभिन्न किस्में प्राप्त की जा सकती हैं।

पोर्टलैंड सीमेंट के बड़े पैमाने पर निर्माण में जिन खनिजों का प्रयोग होता है उनमें सिलिका (Si O2, 20-25%), ऐल्युमिना (Al2 03, 4-8%), आइरन ऑक्साइड (Fe2 O3, 2-4%) चूना (६०-६५%), मैग्नीशिया (Mg O, 1-3%) हैं। इन्हें जलाने पर उनके बीच रासायनिक संयोजन होता है। सीमेंट के मुख्य घटक हैं, ट्राई कैल्सियम सिलिकेट (3 Ca O, Si O2), डाइ कैल्सियम सिलिकेट (2 Ca O2, Si O2) तथा ट्राई कैल्सियम ऐल्युमिनेट (3 CaO Al2 O3), इसके अतिरिक्त पीसने के पूर्व इसमें लगभग ३% जिप्सम (Ca SO4 .2H2O) मिलाने से सीमेंट की उत्कृष्टता बढ़ जाती है। इससे सीमेंट के जमने के समय पर नियंत्रण रखा जा सकता है।

सीमेंट में पानी मिलाने से सीमेंट जमता और कठोर होता है। इसका कारण उसके उपर्युक्त घटकों का जलयोजन और जल अपघटन है। प्रारंभिक जमाव ऐल्युमिनेट के कारण तथा इसके बाद की प्रारंभिक मजबूती प्रधानतया ट्राइ सिलिकेट के कारण होती है। डाइसिलिकेट की क्रिया सबसे मंद होती है। इसे मजबूती प्रदान करने में १४ से २८ दिन या इससे अधिक लग जाते हैं।

सीमेंट की किस्में :

. ����� जल्द कठोर होने वाला सीमेंट- बड़ा जल्द मजबूत हो जाता है यद्यपि इसका प्रारंभिक और अंतिम जमाव का समय सामान्य सीमेंट से कुछ अधिक होता है। इसमें ट्राइ कैल्सियम सिलिकेट अधिक होता है और यह अधिक महीन पीसा जाता है। ऊष्मा का उत्पादन तथा जमने और कठोरीकरण के समय में अधिक संकुचन के कारण इसका उपयोग बड़े पैमाने पर कंकरीट में नहीं होता है।

२. ��� निम्न ऊष्मा सीमेंट (Low heat Cement) ट्राइ कैल्सियम ऐल्युमिनेट ऊष्मा विकास का प्रमुख कारण है। अत: सीमेंट में इसकी मात्रा न्यूनतम, केवल ५% ही, रखी जाती है। इस प्रकार का सीमेंट प्रारंभिक अवस्थाओं में कम मजबूत होता है। पर इसकी अंतिम मजबूती में कोई अंतर नहीं होता है।

३. ����� उच्च ऐल्युमिना सीमेंट (High Alumina Cement)-जल्द मजबूत होने तथा रासायनिक प्रभावों के विरुद्ध दृढ़ रहने के लिए इसका प्रयोग होता है, जैसे बहते हुए पानी अथवा समुद्री जल में। इसका बड़े पैमाने पर निर्माण ऐल्युमिनी (Aluminous) तथा कैल्सियमी पदार्थों के उपयुक्त अनुपात में मिश्रण को गलाने तथा बाद में उत्पादश् को महीन पीसकर किया जाता है।

४. ����� प्रसारी सीमेंट (Expanding Cement)- ऐसा सीमेंट जमाव के समय फैलता है। इसकी थोड़ी मात्रा का प्रयोग अन्य किस्म के सीमेंट में मिलाकर द्रवधारक संरचनाओं के निर्माण में किया जाता है ताकि संकुचन और ऊष्मा के कारण कंकरीट में उत्पन्न होने वाली दरारों को रोका जा सके।

५. ����� सफेद और रंगीन सीमेंट- सीमेंट का धूसर रंग अपद्रव्य रूप में आइरन आक्साइड (Fe2 O3) के कारण होता है। यदि पोर्टलैंड सीमेंट में आइरन आक्साइड ने हो तो सीमेंट का रंग सफेद होगा। आइरन आक्साइड के निकालने की लागत, जो प्राकृतिक पदार्थों का सामान्यत: अंग होता है, सफेद सीमेंट की कीमत को बढ़ा देती है।

सफेद सीमेंट को पीसते समय लगभग दस प्रतिशत वर्णक मिला देने से रंगीन सीमेंट तैयार होता है। धूसर सीमेंट में पूरा तथा लाल रंग सफलता से डाला जा सकता है।

सीमेंट की अन्य मुख्य किस्में हैं, वायु मिश्रित या वायु चढ़ित सीमेंट (air entrained cement), सल्फेट निरोधक सीमेंट तथा जलाभेद्य सीमेंट।

सामान्य सीमेंट के गुण- सीमेंट का घन संपीडन में बनाया जाता है। उस घन को परीक्षण मशीन में रखकर तब तक दबाया या संपीडित किया जाता है जब तक वह टूट न जाए। इससे सीमेंट की मजबूती का पता चलता है। तनन सामर्थ्य के निर्धारण के लिए मानक ईटं, जिसके कम-से-कम एक वर्ग इंच, को तोड़ा जाता है। पोर्टलैंड सीमेंट के तनन तथा संपीडन सामर्थ्य निम्नलिखित प्रकार है।

दिन साधारण पोर्टलैंडश्श् सीमेंट का सामर्थ्य

संपीडन सामर्थ्य तनन सामर्थ्य

३ दिनों के बाद १,६०० ३००

७ दिनों के बाद २,५०० ३७५

भारत में चूना पत्थर की अधिकता के कारण सीमेंट उद्योग का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। (डा. जयकृष्ण)