सिजविक, हेनरी (१८३८-१९००) प्रसिद्ध अंग्रेज दार्शनिक। ३१ मई को यार्कशायर में जन्म। प्रथम महत्वपूर्ण पद के रूप में उन्हें ट्रिनिटी विश्वविद्यालय की फेलोशिप मिली। बाद में उन्हें वहीं क्लासिकी साहित्य का प्राध्यापक नियुक्त किया गया। १८७४ में उनकी पहली महत्वपूर्ण कृति 'नैतिकता की पद्धति' शीर्षक प्रकाशित हुई। १८८३ में दुबारा उन्हें नीति-दर्शन विषय का नाइटब्रिज प्राध्यापक नियुक्त किया गया। इसके उपरांत अपनी विशिष्ट दार्शनिक मान्यताओं की प्रस्थापना के लिए उन्होंने 'सोसाइटी फार साइकिकल रिसर्च' की स्थापना की। मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के अध्ययन में उन्हें गहरी रुचि थी। ईसाइयत को मानव कल्याण का साधन मानते हुए भी धार्मिक दृष्टि से उन्होंने उसका समर्थन नहीं किया। समाजशास्त्रीय विचारों में वे स्टुअर्ट मिल और येंथम की तरह उपयोगितावादी थे। (मुद्रा राक्षस)