सिगरेट सिगार का छोटा रूप है। इसमें महीन कटा हुआ तंबाकू महीन कागज में लपेटा हुआ रहता है। सिगरेट में प्रयुक्त होने वाला तंबाकू अभिसाधित होता है। ऐसे तंबाकू को वर्जीनिया तंबाकू कहते हैं। तंबाकू को अभिसाधित करने के लिए पत्ते को पहले पानी में भिगोते हैं। इससे वह नम्य हो जाता है तथा डंठल और मध्य शिरे से सरलता से अलग किया जा सकता है। अब उसे घूर्णक ड्रम में रखकर महीन काटते हैं। ऐसे कटे तंबाकू को गरम करते हैं जिससे कुछ नमी निकल जाती है। कटे तंबाकू को कागज में लपेटकर कागज के सिरे को भिगोकर बंद कर देते हैं। कुछ लोग अपना सिगरेट स्वयं तैयार करते हैं पर आज सिगरेट बनाने की मशीनें बन गई हैं। आधुनिक मशीनों में प्रति मिनट १००० से १५०० तक सिगरेट बन सकते हैं। सिगरेट बनाने में जिस कागज का उपयोग होता है वह विशिष्ट प्रकार का कागज इसी काम के लिए बना होता है। सिगरेट बन जाने पर डिब्बों में भरा जाता है। डिब्बों में १० से २० सिगरेट रहते हैं। सिगरेट बनाने का समस्त कार्य आज मशीनों से होता है। सिगरेट का व्यवहार दिन-दिन बढ़ रहा है। इसका प्रचार केवल पुरुषों में ही नहीं वरन् महिलाओं में भी बढ़ रहा है। इससे सिगरेट का व्यापार आज बड़ा उन्नत है। अनेक देशों-भारत, इंग्लैंड, अमरीका आदि-में इसके अनेक कारखाने हैं। भारत में सिगरेट पर उत्पादन शुल्क लगता है। बाहर से आए सिगरेट पर आयात कर लगता है। भारत को इससे पर्याप्त धन राशि प्राप्त होती है। सिगरेट के बढ़े हुए उपयोग को देखकर शरीर पर इसके प्रभाव के अध्ययन के लिए डॉक्टरों ने अनेक समितियाँ बनाई और उसके फलस्वरूप सिगरेट के व्यवहार के संबंध में निम्नलिखित बातें मालूम हुई-

१. ���� सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

२. ���� सिगरेट के धुएँ से वायु प्रदूषित हो जाती है। कुछ लोगों का मत है कि ऐसी दूषित वायु के सेवन से कैंसर हो सकता है।

३. ���� सिगरेट पीने से पुरुष और महिलाओं दोनों में फेफड़े का कैंसर हो सकता है।

४. ���� जीर्ण श्वासनली शोथ (Chronic Bronchitis) के होने का एक महत्वपूर्ण कारण सिगरेट पीना है।

५. ���� सिगरेट पीने से फेफड़े का कार्य सुचारु रूप से नहीं होता, कार्यशीलता में ्ह्रास हो सकता है। सिगरेट पीने वालों में साँस फूलने की शिकायत हो सकती है।

६. ���� सिगरेट पीने वाली महिलाओं के बच्चे जन्म के समय कम भार के होते हैं।

७. ���� पुरुषों में कंठ के कैंसर होने का एक प्रमुख कारण सिगरेट पीना है।

८. ���� सिगरेट पीने वाले व्यक्तियों की हृदय रोग से मृत्यु ७० प्रतिशत से अधिक होती है।

९. ���� हृद्वाहिक रोग, जिनमें अतिरुधिर तनाव, हृदय रोग और सामान्य धमनी काठिन्य रोग भी सम्मिलित हैं, में सिगरेट पीने का विशेष योग पाया जाता है। (फूलदेव सहाय वर्मा.)