सिकंदर शाह लोदी दिल्ली राज्य के एक भाग पर शासन करने वाले बहलोल लोदी का द्वितीय पुत्र था। इसका वास्तविक नाम निजाम खाँ था। बहलोल की मृत्यु पर १७ जुलाई, १४८९ को यह 'सुल्तान सिकंदर शाह' की उपाधि धारण करके सिंहासनरूढ़ हुआ। यह लोदी वंश का सबसे योग्य शासक था। विद्वानों का आदर करने के साथ-साथ निर्धनों के प्रति सहानुभूति रखता था। स्वयं बड़ा पराक्रमी, कर्तव्यनिष्ठ तथा साहसी व्यक्ति था। उसने फारसी में कुछ कविताएँ लिखी हैं। इसके शासन में बड़े निष्पक्ष रूप से न्याय किया जाता था। प्रजा की शिकायतों को सिकंदर शाह स्वयं सुनता था। साधारण आवश्यकता की वस्तुएँ बड़ी सस्ती थीं और राज्य भर में शांति तथा समृद्धि विराजती थी।
शाह ने अपने राज्य को शक्तिशाली बनाने का प्रयत्न किया। उद्दंड प्रांतीय नवाबों को दंडित करके उसके अशांति दूर की तथा जागीरदारों के आय-व्यय का निरीक्षण किया। उसने बिहार तथा तिरहुत को अपने अधीन कर लिया तथा बंगाल तक जा पहुँचा। ग्वालियर, इटावा, धौलपुर तथा बयाना पर अपना प्रभुत्व जमाने के लिए उसने एक नया नगर बसाया जो वर्तमान आगरा है। आगरा में ही २१ नवंबर, १५१७ को उसकी मृत्यु हो गई। (मिथिलेश पांडा)