सात्वत यह नाम विष्णु, श्रीकृष्ण, बलराम तथा यादवमात्र के लिए प्रयुक्त होता है। कूर्मपुराण में यदुवंश के सत्वत नामक एक राजा का उल्लेख है जो अंशु के पुत्र और सात्वत के पिता थे। सात्वत ने नारद से वैष्णव धर्म का उपदेश ग्रहण किया जिसे सात्वत धर्म भी कहते हैं। यह धर्म वैष्णव संप्रदाय में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पद्मपुराण के उत्तरखंड में लिखा है कि जो सभी कर्मों को त्यागकर अनन्य चित्त से श्रीकृष्ण, केशव तथा हरि की उपासना करता है वही सात्वत भक्त है। इस नाम का एक प्राचीन देश भी था। ((स्व.) रामज्ञा द्विवेदी.)