सहस्रपाद या मिलीपीड (Millipede, or thousand legged) जंतु ऑर्थोपोडा संघ के मीरिआपोडा (Myriapoda) वर्ग में डिप्लोपोडा (Diplopada) उपवर्ग के सदस्य होते हैं। इनका शरीर बेलनाकार और स्पष्ट रूप से खंडित (segmented) होता है, परंतु अन्य संधिपाद प्राणियों (arthropods) की तरह इनका शरीर विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित नहीं रहता। इनकी विशिष्ट पहचान यह होती है कि प्रथम चार खंडों को छोड़कर प्रत्येक खंड में दो जोड़ी पैर होते हैं। इसलिए मिलिपीड (millipedes) को डिप्लोपोडा (Diplopada, or double legged) भी कहते हैं। एक निश्चित स्पष्ट शीर्ष पर एक जोड़ी शृंगिकाएँ (antennae) और एक जोड़ी चिबुकास्थियाँ (mandibles) होती हैं। शीर्ष पर एक जोड़ा उपांग (appendages) भी होता है, जो एकरूप होकर (fused) एक पत्रक (plate) के समान विन्यास की रचना करते हैं, जिसे नैथोकिलेरियम (Gnanthochilarium) कहते हैं अधिकतर मिलीपीड के शीर्ष के दोनों तरफ ज्ञानेंद्रियाँ होती हैं, जिनका कार्य विदित नहीं है। इनके जीवाश्म (fossil) डिप्लोपोडा डिवोनी कल्प् (Devonian period) और सिल्यूरियन कल्प्� (Silurian period) में मिलते हैं। कार्बनी कल्प (Carboniferous period) में ये अच्छी तरह स्थापित थे।

मिलीपीड का रंग सामान्यत: गहरा भूरा, या गहरा लाल, होता है। क्षुब्ध होने पर ये अपने शरीर को चौरस गेड्डरी (flattened coil) के रूप में मोड़ लेते हैं। इनका वितरण विश्वव्यापी है। ये आलसी और सुस्त प्राणी होते हैं और अधिकतर नम या अंधकारपूर्ण जगहों में, या सड़े गले लट्ठों, पेड़ों के वल्कल (bark) और चट्टानों के अंदर या नीचे छिपे रहते हैं। ये जमीन के अंदर भी पाए जाते हैं। कुछ विशेष कारणों से, जिनकी पूरी जानकारी नहीं है, मिलीपीड बहुधा दिन में भी बड़ी संख्या में एक साथ चलते हैं। इनका भोजन सामान्यत: सड़ा गला वानस्पतिक पदार्थ होता है। कुछ मिलीपीड कृषि की उपज को भी नुकसान पहुँचाते हैं। चूँकि इनके जबड़े कमजोर होते हैं, इसलिए ये केवल सुकुमार ऊतकों, मूलिकाओं (rootlets), मूलरोमों (root hairs) को ही हानि पहुँचा पाते हैं।

मिलीपीड में लिंग पृथक् होते हैं और निषेचन आंतरिक होता है। इनकी निलय संबंधी आदतें (nesting habits) भी अत्यंत रोचक होती हैं। पॉलिडेस्मस (Polydesmus) वंश में मादा अंडा देने के लिए लकड़ी के टुकड़े, या ऐसी ही किसी नम जगह, को चुनती है और अपने विसर्जित मल को गुदा कपाटिका (anal valves) द्वारा ढालकर गोल आकृति की दीवार बनाती है। यह प्रक्रिया कुछ दिनों तक चलती रहती है और इस तरह मधुमक्खी के छत्ते (bee-hive) की शक्ल का निलय (nest) बन जाता है और तब मादा इन छत्तों में अंडा रख देती है। अंडा देने के कुछ समय बाद तक भी पालिडेस्मस मादा निलय के चारों तरफ लिपटी रहती है। अंडज उत्पत्ति (hatching) के बाद शावक के शरीर में ६ खंड और ३ जोड़े पैर होते हैं। प्रत्येक निर्मोक (moult) पर गुदाखंड (anal somite) के अग्र भाग में खंड जुड़ते हैं। प्रौढ़ मिलीपीड में कम-से-कम ९ खंड होते हैं, परंतु बहुत-सी जातियों में १०० से भी अधिक खंड होते हैं।

निर्मोचन (moulting) के समय मिलीपीड का जीवन विशेष रूप से भयपूर्ण रहता है, क्योंकि इस समय ये असामान्य रूप से रक्षाहीन रहते हैं। इसलिए जब निर्मोचन की प्रक्रिया आसन्न होती है, तब मिलीपीड एकांत स्थान पर गुप्त रूप से रहते हैं और कुछ जातियाँ एक विशेष निर्मोचन गृह का निर्माण करती है जहाँ वे सुरक्षित रह सकें। [प्रकाशनाथ मेहरोत्रा]