सहदेव पांडवों में सबसे छोटे, माद्री के पुत्र जो ज्योतिष के पंडित थे। यह विद्या इन्होंने द्रोणाचार्य से सीखी थी। पशुपालन शास्त्र में भी ये परम दक्ष थे और अज्ञातवास के समय विराट के यहाँ इन्होंने राज्य के पशुओं की देखरेख का काम किया था। इनकी स्त्री विजया थी जिससे इन्हें सुहोत्र नामक एक पुत्र हुआ था। ���� [(स्व.) रामज्ञा द्विवेदी.]