इरीडियम (संकेत: इ; परमाणुभार: १९३१; परमाणु संख्या: ७७) धातुओं के प्लैटिनम समूह का एक सदस्य हैं। सबसे पहले तेंना ने १८०४ में ऑस्मीइरीडियम नामक मिश्रण से इसको प्राप्त किया। यह बहुत ही कठोर धातु है, लगभग २,४५० सेंटीग्रेड पर पिघलती है और इसका आपेक्षिक घनत्व २२.४ है। इसका विशिष्ट विद्युतीय प्रतिरोध ४.९ है जो प्लैटिनम का लगभग आधा है। इससे तार, चादर इत्यादि बनाना बड़ा ही कठिन है। रासायनिक प्रतिक्रिया में यह धातुओं में सबसे अधिक अक्रियाशील है, जहाँ तक कि अम्लराज भी साधारण ताप पर इसपर क्रिया करने में असफल रहता है।

इरीडियम फाउंटेनपेन की निबों की नोक, आभूषण, चुंबकीय संपर्क स्थापित करनेवाले यंत्र, पोली सुई (इंजेक्शन लगाने की सुई) तथा बहुत ही बारीक फ्यूज़ तार बनाने में काम आता है।

इरीडियम बहुत से यौगिक बनाता है, जिनमें १, २, ३, ४ तथा ६ तक संयोजकता होती है। इसके मुख्य यौगिक इक्लाे२, इक्लाे३, इक्लाे४, इब्रो, इआै३, इआै४, हा, इक्लो, इ, आै३, इआै३, इगं, इं३ इत्यादि हैं। इसमें जटिल यौगिक बनाने की भी प्रवृत्ति पाई जाती है, जैसे साे३ इ (नाऔ)और साथ ही यह दूसरी धातुओं से मिलकर, विशेषकर प्लैटिनम के साथ, बड़ी सुगमता से मिश्रधातु बनाता है। ये मिश्रधातुएँ बड़ी कठोर होती हैं

(यहाँ इ=इरीडियम; क्लो=क्लोरीन; ब्रो=ब्रोमीन; आ=आयोडीन; हा=हाइड्रोजन; औ=आक्सिजन; सो=सोडियम तथा गं=गंधक है।) (स.प्र.)