इब्राहिम, हाफिज़ मुहम्मद पंजाब के भूतपूर्व राज्यपाल, भूतपूर्व केंद्रीय सिंचाई तथा विद्युत् मंत्री, उत्तर प्रदेश के वित्त, सिंचाई तथा सार्वजनिक निर्माण मंत्री। आपका जन्म सन् १८८९ ई. में बिजनौर जिले के नगीना नामक कस्बे में हुआ था। सन् १९१६ ई. में आप स्नातक हुए और सन् १९१९ ई. में कानून की उपाधि प्राप्त की। आपने लगभग १५ वर्षों तक नगीना और मुरादाबाद में वकालत की। सन् १९२६ ई. में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में आप उत्तर प्रदेश प्रांतीय धारा सभा के सदस्य चुने गए। सन् १९३४ ई. में आपने 'ह्वाइट पेपर' प्रस्तावों का उग्र विरोध किया। सन् १९३६ ई. में मुस्लिम लीग के टिकट पर प्रांतीय धारा सभा के सदस्य चुने गए और प्रथम गोविंदवल्लभ पंत मंत्रिमंडल में यातायात तथा सार्वजनिक निर्माण मंत्री नियुक्त हुए। बाद में आप मुस्लिम लीग से इस्तीफा देकर कांग्रेस में सम्मिलित हो गए और कांग्रेसी उम्मीदवार होकर लीगी उम्मीदवारों को पराजित कर प्रबल मतों से विजयी हुए। आपने स्वाधीनता संग्राम में भी भाग लिया और राष्ट्रवादी मुसलमानों के संघटन तथा जागरण में योगदान किया। सर् १९४०-४१ में व्यक्तिगत सत्याग्रह में आपने भाग लिया और एक वर्ष तक कारावास किया। आजाद मुस्लिम कानफरेंस के आप संस्थापकों में रहे हैं। सन् १९४२ ई. के आंदोलन में आपको पुन: नजरबंद कर लिया गया था। सन् १९४४ ई. में राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के सहयोग से आपने अखिल भारतीय मुसलिम मजलिस की स्थापना की। केंद्रीय आजाद मुस्लिम संसदीय बोर्ड के भी आप सदस्य रहे हैं। सन् १९४६ ई. में लीगी सदस्य को हराकर आप विधानसभा के सदस्य चुने गए और जब उत्तर प्रदेश में पंत मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो उसमें मंत्री बने। सन् १९५२ के साधारण निर्वाचन में भी आप प्रबल मतों से विजयी हुए और प्रदेश के तीसरे (पंत) मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री का पदभार सँभाला। बाद में आप केंद्रीय सरकार में चले गए और वहाँ सिंचाई तथा विद्युत् मंत्री के पद पर रहकर उल्लेखनीय कार्य किए। इसके पश्चात् आप पंजाब के राज्यपाल नियुक्त किए गए। सन् १९६६ के आरंभ से ही आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा। अत: आपने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। २६ फरवरी, १९६६ ई. को राष्ट्रपति ने पंजाब के राज्यपाल पद से दिया गया इस्तीफा सखेद स्वीकार कर लिया और १५ मार्च तक ही आपकी छुट्टी स्वीकार की। इस प्रकार हाफिज़ मुहम्मद इब्राहीम ने राष्ट्रीय संग्राम में उल्लेख्य योगदान किया। आपने राष्ट्रीय विचारधारा के मुसलमानों का संघटन किया तथा स्वीधीनता के बाद राज्य और केंद्र की सरकार में महत्वपूर्ण पदों का कार्यभार सँभालकर देश के निर्माण में स्मरणीय योगदान किया। इनका निधन २४ जनवरी १९६८ को इनके पैत्रिक वासस्थान नगीना (बिजनौर) में हुआ। (ल.शं.व्या.)