इज़रायल
दक्षिण पश्चिम एशिया
का एक स्वतंत्र यहूदी
राज्य है, जो १४
मई, १९४८ ई. को पैलेस्टाइन
से ब्रिटिश सत्ता
के समाप्त होने
पर बना। यह राज्य
रूम सागर के पूर्वी
तट पर स्थित है।
इसके उत्तर तथा
उत्तर पूर्व में
लेबनान एवं सीरियास,
पूर्व में जार्डन,
दक्षिण में अकाबा
की खाड़ी तथा दक्षिण
पश्चिम में मिस्र
है (क्षेत्रफल २०,७०० वर्ग
किलोमीटर;
जनसंख्या १९७१ ई. में
२९,९९,०००, जिसमें यहूदी
२५,६०,०००; मुसलमान ३,२६,०००;
ईसाई ७६,००० तथा
ड्रज़ ३६,०००)। जनसंख्या
के ७१ प्रतिशत लोग
नगरों में रहते
हैं तथा २१ प्रतिशत
उद्योग में लगे हैं।
जेरूसलम, जिसकी
जनसंख्या २,८२,००० है,
इसकी राजधानी
है तथा तेल अवीब
(जनसंख्या ३,८२,०००) एवं
हैफा (जनसंख्या
२,१४,५००) इसके अन्य मुख्य
नगर हैं। राजभाषा
इब्रानी है।
इज़रायल के तीन प्राकृतिक भाग हैं जो एक दूसरे के समांतर दक्षिण से उत्तर तक फैले हैं : रूमतटीय 'शैरों' तथा फिलिस्तिया का मैदान, जो अत्यधिक उर्वर है, तथा मक्का जो सब्जियों, संतरों, अंगूरों एवं केलों की उपज के लिए प्रसिद्ध है। (२) गैलिली, समारिया तथा जूडिया का पहाड़ी प्रदेश, जो तटीय मैदान के पूर्व में २५ से लेकर ४० मील तक चौड़ा है। इज़रायल का सर्वोच्च पर्वत अट्ज़मान (ऊँचाई ३,९६२ फुट) यहीं स्थित है। जज़रील घाटी गैलिली के पठार को समारिया तथा जूडिया से पृथक् करती है और तटीय मैदान को जार्डन की घाटी से मिलाती है। गैलिली का पठार एवं जज़रील घाटी समृद्ध कृषिक्षेत्र हैं जहाँ गेहूँ, जौ, जैतून तथा तंबाकू की खेती होती है। समारिया का क्षेत्र जैतून, अंगूर एवं अंजीर के लिए प्रसिद्ध है। (३) जार्डन रिफ्ट घाटी, जो केवल १०-१५ मील चौड़ी तथा अत्यधिक शुष्क है। इसके जगत् के स्थलखंड का सबसे नीचा भाग है। जार्डन नदी के मैदान में केले की खेती होती है।
इज़रायल के दक्षिणी भाग में नेजेव नामक मरुस्थल है, जिसके उत्तरी भाग में सिंचाई द्वारा कृषि का विकास किया जा रहा है। यहाँ जौ, सोरघम, गेहूँ, सूर्यमुखी, सब्जियाँ एवं फल होते हैं। सन् १९५५ ई. में नेजेव के हेलेट्ज़ नामक स्थान पर इज़रायल में सर्वप्रथम खनिज तेल पाया गया। इस राज्य के अन्य खनिज पोटाश, नमक इत्यादि हैं।
प्राकृतिक
साधनों के अभाव
में इज़रायल की
आर्थिक स्थिति विशेषत:
कृषि तथा विशिष्ट
एवं छोटे उद्योगों
पर आश्रित है।
सिंचाई के द्वारा
सूखे क्षेत्रों को
कृषियोग्य बनाया
गया है। अत: कृषि
का क्षेत्रफल, सन्
१९६९-७० में १०,५८,००० एकड़ था।
तेल अवीव इज़रायल का प्रमुख उद्योगकेंद्र है जहाँ कपड़ा, काष्ठ, औषधि, पेय तथा प्लास्टिक आदि उद्योगों का विकास हुआ है। हैफा क्षेत्र में सीमेंट, मिट्टी का तेल, मशीन, रसायन, काँच एवं विद्युत् वस्तुओं के कारखाने हैं। जेरूसलम हस्तशिल्प एवं मुद्रण उद्योग के लिए विख्यात है। नथन्या जिले में हीरा तराशने का काम होता है।
हैफा तथा तेल अवीव रूम सागरतट के पत्तन (बंदरगाह) हैं। इलाथ अकाबा की खाड़ी का पत्तन है। मुख्य निर्यात सूखे एवं ताजे फल, हीरा, मोटरगाड़ी, कपड़ा, टायर एवं ट्यूब हैं। मुख्य आयात मशीन, अन्न, गाड़ियाँ, काठ एवं रासायनिक पदार्थ हैं।
(न.कि.प्र.सिं.)
सन् १९४८ ई. से पहले फिलिस्तीन (इज़रायल जिसका आजकल एक भाग है) ब्रिटेन के औपनिवेशिक प्रशासन के अंतर्गत एक अधिष्ठित (मैनडेटेड) क्षेत्र था। यहूदी लोग एक लंबे अरसे से फिलिस्तीन क्षेत्र में अपने एक निजी राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रयत्नशील थे। इसी उद्देश्य को लेकर संसार के विभिन्न भागों से आकर यहूदी फिलिस्तीनी इलाके में बसने लगे। अरब राष्ट्र भी इस स्थिति के प्रति सतर्क थे। फलत: १९४७ ई. में अरबों और यहूदियों के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया। १४ मई, १९४८ ई. को अधिवेश (मैनडेट) समाप्त कर दिया गया और इज़रायल नामक एक नए देश अथवा राष्ट्र का उदय हुआ। युद्ध जनवरी, १९४९ ई. तक जारी रहा। न तो किसी प्रकार की शांतिसंधि हुई, न ही किसी अरब राष्ट्र ने इज़रायल से राजनयिक संबंध स्थापित किए। अलबत्ता संयुक्त राष्ट्रसंघीय युद्धविराम--पर्यवेक्षक--संगठन इस क्षेत्र में शांति स्थापना का कार्य करता है। सन् १९५७ में इज़रायल ने पुन: ब्रिटेन तथा फ्रांस से मिलकर स्वेज की लड़ाई में गाजा क्षेत्र में अधिकार कर लिया, परंतु संयुक्त राष्ट्रसंघ के आज्ञानुसार उसे इस भाग को अंतत: छोड़ना पड़ा। प्रथम युद्ध एक प्रकार से समाप्त हो गया, लेकिन अप्रत्यक्ष तनातनी बनी रही। १९६७ ई. में स्थिति बहुत खराब हो गई और इज़रायल-सीरिया-सीमाक्षेत्र में हुई झड़पों के बाद मिस्र ने इज़रायल की सीमा पर अपनी सेना बड़ी संख्या में तैनात कर दी। राष्ट्रसंघीय पर्यवेक्षक दल को निष्कासित कर दिया गया और रक्तसागर में इज़रायल की जहाजरानी पर मिस्र द्वारा रोक लगा दी गई। ५-६ जून की रात्रि को इज़रायल ने मिस्र पर जमीनी और हवाई आक्रमण शुरू कर दिए। जार्डन भी इज़रायल के विरुद्ध युद्ध में सम्मिलित हो गया और सीरिया की सीमाओं पर भी लड़ाई जारी हो गई। ११ जून को राष्ट्रसंघ द्वारा की गई युद्धविराम की अपील लगभग सभी युद्धरत राष्ट्रों ने स्वीकार कर ली। लेकिन इस समय तक इज़रायल गाज़ा पट्टी, स्वेज़ नहर के तट तक सिनाई प्रायद्वीप के भूभाग, जार्डन घाटी तक जार्डन के भूभाग, जेरूसलम तथा गैलिली सागर के पूर्व में स्थित सीरिया के गालन नामक पर्वतीय भाग (जिसमें क्यूनेत्रा नामक नहर भी है) पर अधिकार कर चुका था। जेरूसलम को तत्काल इज़रायल का अभिन्न अंग घोषित कर दिया गया, लेकिन शेष विलित इलाके को 'अधिकृत क्षेत्र' के रूप में ही रखा गया। फरवरी, १९६९ ई. में लेवी एश्कोल की मृत्यु हो जाने पर श्रीमती गोलडा मायर इज़रायल की प्रधानमंत्री नियुक्त हुईं और अक्टूबर, १९६९ ई. के चुनाव में उन्हें पुन: प्रधानमंत्री चुन लिया गया। युद्ध--विराम--रेखा पर और विशेष रूप से अधिकृत स्वेज़ क्षेत्र में इज़रायलियों तथ अरब राष्ट्रों एवं फिलिस्तीनी गुरिल्ला संगठन के बीच छोटी मोटी झड़पें चलती रहीं जिनका अंत अगस्त, १९७० ई. में हुए युद्धविराम समझौते के बाद ही हुआ। किंतु मध्यपूर्व की वर्तमान स्थिति तब तक विस्फोटक बनी रहेगी, जब तक यहाँ की समस्याओं का कोई स्थायी राजनीतिक समाधान नहीं खोज लिया जाता।
संविधान एवं शासन-इज़रायल एक प्रभुसत्तासंपन्न गणराज्य है जिसकी स्थापना १४ मई १९४८ ई. के घोषणा के आधार पर हुई है।१९४९ ई. में इज़रायली संसद् (सेनेट) ने संक्रमण कानून पारित किया जो समान्य शब्दावली के माध्यम से संसद्, राष्ट्रपति तथा मंत्रिमंडल के अधिकारों की व्याख्या करता है। १९५० ई. में संसद ने समय-समय पर मूल नियमों को अधिनियमित करने का प्रस्ताव पारित किया। ये ही अधिनियमित मूल नियम समग्र रूप में इज़रायल के संविधान के नियामक हैं। संसद्, इज़रायली राष्ट्र तथा राष्ट्रपति से संबद्ध इन मूल नियमों को क्रमश: १९५८, १९६०, तथा १९६४ ई. में पारित किया गया।
इज़रायली संसद् को सर्वोच्च अधिकार प्राप्त हैं और १२० सदस्योंवाली इस एकसदनी संसद्, का चुनाव सार्वदेशिक मताधिकार के आधार पर अनुपाती-प्रतिनिधित्व-पद्धति से प्रति चार वर्ष के लिए कराया जाता है। राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होता है और संसद् पाँच वर्ष के लिए इसका चुनाव करती है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गठित मंत्रिमंडल संसद् के प्रति उत्तरदायी होता है। मंत्री सामान्यत: संसद् सदस्यों में से ही बनाए जाता हैं लेकिन इनकी नियुक्ति सदस्येतर व्यक्तियों में से भी की जा सती है। पूरा देश छह मंडलों में विभक्त है। संसदीय निर्वाचन के साथ-साथ स्थानीय अधिकारियों का चुनाव भी संपन्न होता है जिनका कार्यकाल चार वर्ष तक रहता है। २७ नगरपालिकाएँ (दो अरबों की), ११७ स्थानीय परिषदें (४५ अरबों तथा सीरियाई देशों की) तथा ४७ क्षेत्रीय परिषदें (एक अरबों की) ६७४ गाँवों का प्रतिनिधित्व करती हैं। (कै.चं.श.)