आस्मियम प्लैटिनम समूह की छह धातुओं में से एक है और इन सबसे अधिक दुष्प्राप्य है। इसको सबसे पहले टेनांट ने १८०४ में आस्मिइरीडियम से प्राप्त किया। आस्मिइरीडियम को सोडियम क्लोराइड के साथ क्लोरीन गैस की धारा में पिघलाने पर आस्मियम टेट्राक्लोराइड (आक्लाे४) बनता है जो उड़कर एक जगह एकत्र हो जाता है। इसकी अमोनियम क्लोराइड के साथ प्रतिक्रिया कराने पर (नाहा)क्लो बन जाता है, जिसको वायु की अनुपस्थिति में तप्त करने पर आस्मियम धातु प्राप्त होती है (संकेत आOs; परमाणुभार १९०; परमाणुसंख्या ७६)।

इसके मुख्य प्राप्तिस्थान रूस, टेसमेनिया तथा दक्षिण अफ्रीका हैं। यह ज्ञात पदार्थों में सबसे भारी है। इसका आपेक्षिक घनत्व २२.५ है तथा यह २७००° सें. पर पिघलती है। यह अत्यंत कठोर धातु है और विकार की कठोरता की नाम के अनुसार इसकी कठोरता लगभग ४०० है। इसकी विद्युतीय विशिष्ट प्रतिरोधकता ८.८ है। शुद्ध धातु न गर्म अवस्था में और न ठंडी में व्यवहारयोग्य है। हवा में गर्म करने पर इसका उड़नशील आक्साइड आ बन जाता है। इस धातु पर किसी अवकारक अम्ल का कोई प्रभाव नहीं होता तथा अम्लराज भी साधारण ताप पर इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं करता। यह प्लैटिनम, इरीडियम तथा रुथेनियम धातुओं के साथ बड़ी सुगमता से मिश्रधातु बना लेती है जो अत्यधिक कठोर होती है। इसको प्लैटिनम में आठ प्रतिशत तक मिलाकर काम में लाया जा सकता है। इन मिश्रणों से वस्तुएँ चूर्ण धातुकार्मिकी (पाउडर मेटलर्जी) की रीतियों से निर्मित की जाती हैं। आस्मियम की संयोजकता २, ३, ४, ६, तथा ८ होती है। इसके यौगिक आक्लोक्लो,आक्लो तथा आक्लो बनाए जा सकते हैं। आ बहुत ही उड़नशील तथा विषाक्त पदार्थ है।

यह धातु सर्वप्रथम साधारण विद्युत् बल्बों (इनकैंडिसेंट इलेक्ट्रिक बल्बों) में प्रयुक्त की गई, परंतु यह बहुत ही मूल्यवान् थी और इससे एक वाष्प निकलता था। इसलिए शीघ्र ही इसकी जगह सस्ती और अधिक लाभदायक धातुओं का उपयोग होने लगा। अति सूक्ष्म विभाजित धातु उत्प्रेरक का काम करती है। आ इस धातु का सबसे महत्वपूर्ण यौगिक है। यह औतिक अभिरंजक (हिस्टोलॉजिकल स्टेन) के तथा उंगली की छाप लेने के काम आता है। परक्लोरेट की उपस्थिति में क्लारेट को निकालने में भी इसका प्रयोग होता है। इस धातु का उपयोग सबसे कठोर मिश्रधातुओं के बनाने में होता है। ये मिश्रधातुएं बहुमूल्य औजारों के भारु (बेयरिंग) बनाने में और आस्मियम-इरीडियम मिश्रधातु फाउंटेनपेन की निब बनाने में काम आती है।

(आ=आस्मियम; औ=आक्सीजन; क्लो=क्लोरीन; ना=नाइट्रोजन; हा=हाइड्रोजन)। (स.प्र.)