आस्ट्रेलिया संसार के महाद्वीपों में सबसे छोटा महाद्वीप है। यूरोपियनों को इसका पता डचों द्वारा लगा। १७वीं शताब्दी के आरंभ में डच इसके पश्चिमी तट पर पहुँचने लगे। उन्होंने इसको 'न्यू हालैंड' नाम दिया। सबसे महत्वपूर्ण यात्रा १६४२ ई. में एबिल टसमान ने की थी जो डच द्वीपसमूह के गवर्नर वान डी मैन के आदेशानुसार इस महाद्वीप की जानकारी के लिए निकला था। उसकी यात्रा से लगभग यह निश्चित हो गया कि 'न्यू हालैंड' एक द्वीप है। टसमान के न्यूजीलैंड पहुँच जाने के कारण उसे महाद्वीप के महत्वपूर्ण पूर्वी तट का पता नहीं लग सका। लगभग १३० वर्ष पश्चात् (१७७० ई.) अंग्रेज यात्री जेम्स कुक कई वैज्ञानिकों सहित महाद्वीप के पूर्वी तट का पता लगाने में सफल हुआ। उसने ही हौवे अंतरीप से टारेस जलडमरूमध्य तक के तट की खोज की। परंतु महाद्वीप की पहली आबादी की नींव १७८८ ई. में रखी गई, जब कप्तान फिलिप ७५० कैदियों को लेकर बाटनी खाड़ी पर उतरे। यह आबादी पोर्ट जैक्सन पर, जहां अब सिडनी है, बसाई गई थी। महाद्वीप की खोज करनेवाले यात्रियों में फिलिंडर्स का कार्य महत्वपूर्ण है जिसने १८०२ ई. में महाद्वीप के चारों ओर इनवेस्टिगेटर नामक जहाज में चक्कर लगाया। जलवायु और धरातल की दृष्टि से पूर्वी तट के अतिरिक्त अन्य भाग गोरे लोगों के अनुकूल नहीं है। इस कारण बहुत समय तक कहीं और नई आबादी नहीं बस सकी। पूर्वी पहाड़ी श्रेणियों को पार करने में कठिनाई होने के कारण महाद्वीप के भीतरी भाग की भी विशेष जानकारी न हो सकी। १९१३ ई. में लासन,ब्लैक्सलैंड और वेंटवर्थ नामक व्यक्तियों ने इन पवर्तश्रेणियों को पार कर पश्चिमी मैदानों की खोज की। १८२८ ई. में कप्तान स्टवार्ट ने डार्लिग नदी की खोज की। महाद्वीप की जनसंख्या आरंभ में बहुत ही धीरे-धीरे बढ़ी। १८५१ ई. में स्वर्ण मिलने के पूर्व महाद्वीप की जनसंख्या लगभग ४,००,००० थी। आस्ट्रेलिया के राजनीतिक विभाग निम्नलिखित हैं :

न्यू साउथवेल्स, विक्टोरिया, क्वींसलैंड, दक्षिणी आस्ट्रेलिया, पश्चिमी आस्ट्रलिया एवं तस्मानिया। इसके अतिरिक्त उत्तरी प्रदेश (नॉर्दर्न टेरिटरी) एक केंद्रशासित राजनीतिक विभाग है।

आस्ट्रेलिया महाद्वीप ११३° ¢ पू. से १५३° ३९¢ पू.दे. और १०° ४१¢ तथा ४३° ३९¢ द.अ. के मध्य स्थित है। इसके पूर्व में प्रशांत महासागर, पश्चिम में हिंद महासागर और दक्षिण में दक्षिण महासागर है। तस्मानिया द्वीप सहित महाद्वीप का क्षेत्रफल २९,७४,५८१ वर्ग मील है। पूर्व से पश्चिम इसकी लंबाई २,४०० मील और उत्तर से दक्षिण की चौड़ाई २,००० मील है। इसका तट १२,२१० मील लंबा है और विशेष कटा छंटा नहीं है। उत्तर पूर्वी तट के निकट मूंगे की चट्टानें बड़ी दूर तक फैली हुई हैं जो 'ग्रेट बैरियर रीफ़' के नाम से प्रसिद्ध हैं।

आस्ट्रेलिया महाद्वीप की प्राकृतिक संरचना अन्य महाद्वीपों से भिन्न है। यहाँ का अधिकतर भाग प्राचीन मणिभ (रवेदार) चट्टानों का बना हुआ है। तृतीयक काल की विशाल पर्वत-रचनात्मक-शक्तियों का आस्ट्रेलिया पर प्रभाव नहीं पड़ा है जिसके कारण महाद्वीप में कोई ऐसी पर्वतश्रेणी नहीं है जो दूसरे महाद्वीपों की हजारों फुट ऊँची शृंखलाओं की बराबरी कर सके। यहां का सर्वोच्च पर्वत शिखर केवल ७,३२८ फुट ऊँचा है। यही नहीं कि यहां के पर्वत अधिक ऊँचे नहीं हैं, यहां का मैदानी भाग भी संपूर्ण भूमि का केवल एक चौथाई है।

महद्वीप के तीन प्रमुख विभाग हैं :

१. पश्चिमी पठार-यह महाद्वीप का लगभग भाग घेरे हुए है। मुख्य रूप से इसमें १३५० पू.दे. के पश्चिम का भाग आता है। यहाँ की अधिकांश चट्टानें पुराकल्पिक तथा प्रारंभिक काल की और बड़ी ही कठोर हैं। यद्यपि यहां की औसत ऊँचाई १,००० फुट है, तो भी कुछ पहाड़ियों, जैसे हैमर्सले रेंज, माउंट ऊँड्राफ, मैक्डॉनेल एवं जेम्स रेंज आदि ३,००० फुट से अधिक ऊँची हैं। अधिक शुष्क होने के कारण इसका अधिकांश मरुस्थल है। तट के निकट पठार की ढाल अधिक है।

२. मध्यवर्ती मैदान-पश्चिमी पठार के पूर्व मध्यवर्ती मैदान स्थित है, जो दक्षिण की एन्काउंटर की खाड़ी के उत्तर कार्पेटरिया खाड़ी तक विस्तृत है। इसमें मोंडालिंग द्रोणी (बेसिन) या रीवरीना (आयर झील की द्रोणी और कार्पेटरिया के निम्न भूभाग) सम्मिलित हैं। दक्षिण पश्चिम के भाग सागरतल से भी नीचे हैं। आयर झील द्रोणी की नदियाँ सागर तक नहीं पहुँचतीं और उनमें पानी का सदैव अभाव रहा करता है। ग्रीष्मकाल में तो वे सर्वथा शुष्क हो जाती हैं। मध्य उत्तरी भाग ग्रेट आरटीजियन द्रोणी कहलाता है। वहां पातालतोड़ कुओं द्वारा पानी प्राप्त होता है। मरे डार्लिग द्रोणी विशेष उपजाऊ है।

३. पूर्वी उच्च भाग-यह पूर्वी तट के समांतर यार्क अंतरीप से विक्टोरिया प्रदेश तक विस्तृत है। यह तट से सीधे उठकर मध्यवर्ती निम्न भाग की ओर क्रमश: ढालू होता गया है। यहां की श्रेणियां अधिक ऊँची नहीं हैं। यद्यपि इनको ग्रेट डिवाइडिंग रेंज कहते हैं, तो भी विभिन्न भागों में इनके विभिन्न नाम हैं। न्यू साउथ वेल्स में ये लगभग ३,०००-४,००० फुट ऊँची और ब्लू माउंटेन के नाम से प्रसिद्ध हैं। दक्षिण पूर्व में महाद्वीप का सर्वोच्च शिखर कोसिओस्को है जो ७,३२८ फुट ऊँचा है। विक्टोरिया में ये श्रेणियां पूर्व से पश्चिम की ओर फैली हुई हैं। ये पश्चिम की ओर नीची होती जाती हैं। महाद्वीप की अधिकांश नदियां इन्हीं पर्वतों से निकलती हैं।

खनिज पदाथर्-धातुएँ अधिकतर प्राचीन क्रैंब्रियनपूर्व पुराकल्पिक (पैलियोज़ोइक) चट्टानों में मिलती हैं। ये चट्टानें महाद्वीप के अधिकांश भागों में या तो धरातल के ऊपर हैं अथवा उसके बहुत निकट आ गई हैं। बहुत से भागों में ये बालू और अन्य अवसादों से ढंकी हुई हैं। कैंब्रियनपूर्व चट्टानें यूक्ला बेसिन के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में मिलती हैं। पुराकल्पिक चट्टानें लगभग २९० मील चौड़ी एक मेखला के रूप में महाद्वीप के पूर्व में उत्तर से दक्षिण को फैली हुई हैं। तस्मानिया द्वीप में भी ये ही चट्टानें मिलती हैं। यद्यपि तांबे का उत्पादन दक्षिणी आस्ट्रेलिया में १८४० ई. के लगभग कपुंडा और बुरबुरा की खानों से आरंभ हो गया था, तो भी मुख्य रूप से खनिज उत्पादन १८५१ ई. में आरंभ हुआ जब एडवर्ड आरग्रीस ने बाथर्स्ट से २० मील उत्तर अपने खेत में सोना पाया। उसके शीघ्र ही बाद मेलबोर्न, बाथर्स्ट एवं बेंडिगों में भी सोना मिलना आरंभ हो गया। पश्चिमी आस्ट्रेलिया में सोना १८८६ ई. में मिला, परंतु आजकल वहीं सोने का सर्वाधिक उत्पादन होता है। महाद्वीप के अधिकांश खनिज पदार्थ कुछ ही स्थानों से निकाले जाते हैं जिनमें मुख्यत: कालगुर्ली आर क्यू (सोना) पश्चिमी आस्ट्रेलिया में, ब्रोकेन हिल (सीसा, जस्ता और चांदी) न्यू साउथवेल्स में, माउंट ईसा (सीसा, जस्ता और तांबा) क्वींसलैंड में हैं।

इनके अतिरिक्त पुराकल्पिक चट्टानों में धातुएँ-हर्बर्टन में तांबा, चार्टर्स टावर में सोना, मांउट मार्गन में तांबा, कोबार में तांबा, बाथर्स्ट में सोना और बेंडिगो, बलारेट तथा तस्मानिया मे पश्चिमी भाग में स्थित माउंट जीहन में सीसा और जस्ता, माउंट लायल में तांबा और माउंट बिस्चाक में रांगा-मुख्य रूप से मिलती हैं।

इस महाद्वीप के खनिजों में सोने का महत्व बहुत गिर गया। १९४८ ई. में सोने का उत्पादन १९०३ ई. की अपेक्षा, जिस वर्ष महाद्वीप में सर्वाधिक सोना प्राप्त हुआ, एक चौथाई से भी कम था। १९५१ ई. में इस महाद्वीप में संसार भर के सोने के उत्पादन का केवल ३.६ प्रतिशत उत्पादन किया। फिर भी संसार के देशों में इसका चौथा स्थान था। उसी वर्ष चांदी में इस महाद्वीप का स्थान संसार में पांचवां (६.२ प्रतिशत) था, सीसा के उत्पादन में द्वितीय (१३.५ प्रतिशत) तथा जस्ता में चतुर्थ (८.८ प्रतिशत था)। इस महाद्वीप में कोयले का प्रचुर भंडार है और काला तथा भूरा दोनों प्रकार का कोयला विद्यमान है। काले कोयले का भांडार न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड में तथा भूरे कोयले का सर्वाधिक भांडार विक्टोरिया में है। सर्वाधिक उत्पाद न्यूकैसिल के कोयला क्षेत्र में होता है। इसका क्षेत्रफल लगभग १६,५५० वर्ग मील है। समुद्रतट के समीप होने के कारण यह क्षेत्र अधिक महत्वपूर्ण है।

जलवाय-मकर रेखा इस महाद्वीप के लगभग मध्य से होकर जाती है। इस कारण इसके उत्तर का भाग सदा उष्ण रहता है और दक्षिण का भाग ऊँचे क्षेत्रों के अतिरिक्त अन्य कहीं भी अधिक ठंडा नही रहता। यद्यपि महाद्वीप चारों ओर समुद्र से घिरा हुआ है, फिर भी उसका प्रभाव यहां की जलवायु को समान रखने में बहुत कम पड़ता है। इसका मुख्य कारण पूर्वी पहाड़ी श्रेणियां हैं जो समुद्र के प्रभाव को देश के भीतरी भागों में नहीं पहुँचने देतीं। उष्ण कटिबंध में स्थित रहने के कारण उत्तरी भाग में ग्रीष्म ऋतु में मानसून हवाओं द्वारा वर्षा होती है। तट के निकटवर्ती भागों में 'विलीविलीज़' नामक चक्रवात हवाओं का भी प्रभाव पड़ता है। ३०° द.अ. के दक्षिण का भाग शीतकाल में पश्चिमी हवाओं के मार्ग में आ जाता है। इन हवाओं से वर्षा भी होती है। इस मेखला के दक्षिण पश्चिमी भाग में रूमसागरीय जलवायु पाई जाती है। पूर्वी किनारे पर वर्षा लगभग साल भर होती रहती है, परंतु महाद्वीप का मध्य भाग अधिक उष्ण है और वर्षा भी १०¢¢ से कम होती है। इस कारण यह भाग मरुस्थल बन गया है। संसार के किसी भी महाद्वीप में जल का इतना अभाव नहीं है जितना आस्ट्रेलिया में है। दक्षिण पश्चिमी भाग और आर्नहेमलैंड के अतिरिक्त पूर्वी आस्ट्रेलिया ही ऐसा भाग है जहाँं वर्षा २५¢¢ या उससे भी अधिक होती है। वैलेंडरकेर हिल्स में जो ५,००० फुट से अधिक ऊँची है, महाद्वीप की सर्वाधिक वर्षा होती है।

दक्षिणी गोलार्ध में स्थित होने के कारण आस्ट्रेलिया में जनवरी फरवरी गर्मी के महीने हैं। ताप का अधिकतम मान मार्वुलवार (पश्चिमी आस्ट्रेलिया) में १२१° फा. तक जनवरी में होता है; न्यूनतम मान होवार्ट नगर (तस्मानिया) में ४५.३° फा. तक जुलाई में जाता है।

प्राकृतिक वनस्पति-प्राकृतिक वनस्पति वर्षा पर निर्भर रहती है। आरंभ में महाद्वीप के दक्षिण पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी भाग सदाबहार वनों से ढके हुए थे, जहां अधिकांश नाना प्रकार के यूक्लिप्टस के वृक्ष थे। पर्थ के दक्षिण में स्वार्नलैंड कार्री नामक वृक्ष संसार के विशेष लंबे वृक्षों में से है। महाद्वीप के भीतरी भागों में वर्षा बड़ी शीघ्रता के साथ कम होती जाती है, इस कारण वनों के बदले वहां घास के मैदान पाए जाते हैं। दक्षिण में जलाभाव के कारण ग्रेट आस्ट्रेलियन वाइट के तटीय प्रदेशों में माली नामक झाड़ियाँ पाई जाती हैं। मध्य भाग अधिकांश मरुस्थल है और काँटेदार झाड़ियों इत्यादि से भरा है।

आस्ट्रेलिया महाद्वीप का अधिक समय तक अन्य भूभागों से संपर्क नहीं था, इस कारण वहां के पशु पक्षी भी अन्य महाद्वीपों से अधिक भिन्न हैं। इनमें मुख्य कंगारू और वालाबी हैं। कंगारू घास के मैदानों में और वालाबी पहाड़ी झाड़ियों में रहता है। डिंगो के अतिरिक्त, जो एक जंगली जानवर है, कोई जानवर मनुष्य का शत्रु नहीं है। खरगोश, जिसको आरंभ में महाद्वीप में बाहर से लाया गया, संख्या में अधिक बढ़ गए हैं और वनस्पति तथा कृषि को बड़ी हानि पहुँचाते हैं।

कृषि-महाद्वीप में केवल दो करोड़ तीस लाख एकड़ (लगभग १ प्रतिशत) भूमि पर खेती बारी होती है। कृषि योग्य भूमि आवश्यकता पड़ने पर बढ़ाई जा सकती है और उसपर सघन खेती की जा सकती है। खेती बारी मं सबसे अधिक महत्व गेहूँ का है जिसकी खेती लगभग एक करोड़ तीस लाख एकड़ भूमि (जोतवाली भूमि के लगभग ६० प्रतिशत) पर होती है। गेहूँ को अधिक वर्षा की आवश्यकता नहीं होती, इस कारण महाद्वीप में इसकी उपज अधिकांशत: दक्षिणी भागों में होती है, जहाँ वर्षा जाड़े की ऋतु में होती है। लाचलन एवं मरे का दोआब और स्वानलैंड गेहूँ की उपज के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। उत्पादन का ऋतु से गहरा संबंध है। जब वर्षा उचित समयों पर होती है तो कृषक को पर्याप्त लाभ होता है, परंतु जब अनुकूल समयों पर वर्षा नहीं होती तब बड़ी हानि होती है। महाद्वीप में १९६९-७० में ३८,७५,१२,००० बुशेल गेहूँ पैदा हुआ। खेती का कार्य बहुत कम व्यक्ति करते हैं। श्रमिकों का अभाव है और खेती में मशीनों का उपयोग अधिक होता है। गेहूँ के विशाल समतल खेत मशीनों के प्रयोग के लिए उपयुक्त हें। महाद्वीप से करोड़ों मन गेहूँ और करोड़ों टन आटा प्रतिवर्ष अन्य देशों को निर्यात होता है। आटा तथा गेहूँ के निर्यात की दृष्टि से आस्ट्रेलिया का संसार के देशों में तृतीय स्थान है। आस्ट्रेलिया की विशेषता यह है कि उत्तरी गोलार्ध के देशों को ऐसे समय में वह गेहूँ निर्यात करता है जब उनकी अपनी फसल तैयार नहीं रहती।

अन्य खाद्य पदार्थों में जई एवं मक्का मुख्य हैं। जई ठंडे दक्षिणी भागों में होती होती है और मक्का मुख्य रूप से क्वींसलैंड और न्यू साउथवेल्स के तटीय भागों में उपजाया जाता है। क्वींसलैंड के पूर्वी तट पर केअर्स एवं कैके नगरों के मध्य भाग में महाद्वीप का अधिकांश गन्ना उपजाया जाता है। इस प्रदेश को 'चीनी तट' कहते हैं। यहां की भूमि उपजाऊ है और वर्षा अधिक होती है। श्रमिक गोरी जाति के ही हैं और सरकार इसकी खेती को प्रोत्साहित करती है। सरकार की नीति ऐसी है कि अन्य जातियों के लोग यहां नहीं बसने पाते। प्रति वर्ष लगभग २० करोड़ मन गन्ना तीन लाख एकड़ भूमि पर उपजाया जाता है। प्रत्येक खेत लगभग ५० एकड़ का होता है। इस गन्ने के क्षेत्र में उष्ण कटिबंधीय फल भी उपजाए जाते हैं, जैसे केला और अनन्नास। जलवायु की भिन्नता के कारण इस महाद्वीप में नाना प्रकार के फल होते हैं। तस्मानिया की नम तथा मृदु ऋतुवाली सुरक्षित घाटियों में निर्यात के लिए सेब उपजाए जाते हैं। न्यूयॉर्क के निकट और डर्वेंट की घाटी में नाशपाती, बेर, आड़ू, खूबानी और मुख्यत: सेब पैदा होते हैं। विक्टोरिया, न्यू साउथवेल्स और दक्षिणी आस्ट्रेलिया में भी, जहां सिंचाई की सुविधा है, नाशपाती, खूबानी और आड़ू उत्पन्न होते हैं तथा डिब्बों में बंद करके विदेशों को भेजे जाते हैं। रूमसागरीय जलवायुवाले दक्षिणी भागों में, मुख्य रूप से विक्टोरिया, न्यू साउथवेल्स, दक्षिणी आस्ट्रेलिया और कुछ पश्चिमी आस्ट्रेलिया में, अंगूर की उपज होती है। दक्षिणी आस्ट्रेलिया शराब बनाने में बहुत प्रसिद्ध है। विक्टोरिया से सूखे फलों का निर्यात किया जाता है। संतरे सिडनी के निकट पारामाटा भाग में अधिक उत्पन्न होते हैं।

मवेशी उद्योग-महाद्वीप की आर्थिक व्यवस्था में पशुपालन का सर्वाधिक प्रभाव है। देश की निर्यातवाली वस्तुओं में ऊन सबसे महत्वपूर्ण है। देशवासियों का कथन है कि महाद्वीप के आर्थिक भार को भेड़े ही अपने कंधों पर संभाले हुए हैं। आस्ट्रेलिया संसार में सबसे अधिक ऊन उत्पन्न करता है और यहां भेड़ों की संख्या लगभग सारे संसार की भेड़ों का छठा भाग है। संसार का लगभग एक चौथाई ऊन यहां उत्पन्न होता है। महाद्वीप में १ मार्च, १९७० तक १८ करोड़ भेड़ें थीं। परंतु यह संख्या सूखावाले वर्षों में बहुत कम हो जाती है। १९४८ ई. में केवल १०.२ करोड़ भेड़ें थीं। भेड़ें अधिकांश १५ इंच से २५ इंच वर्षावाले क्षेत्रों में पाली जाती हैं। अधिक ताप भी इनके लिए हानिकारक होता है। इसलिए भेड़ें मरे-डार्लिग नदी के मैदानों में तथा आर्टीसियन द्रोणी में सबसे अधिक पाली जाती हैं। १ मार्च, १९७० को भेड़ों की संख्या (हजारों में) निम्नलिखित आंकड़ों के अनुसार थी।

न्यू साउथवेल्स ७२,२८४

विक्टोरिया ३३,१५७

क्वींसलैंड १६,४४६

पश्चिमी आस्ट्रेलिया ३३,६३४

दक्षिणी आस्ट्रेलिया १९,७४७

तसमानिया ४,५६०

उत्तरी टेरिटरी ८

कैपिटल टेरिटरी २४४

योग : १,८०,०८० हजार

लगभग एक तिहाई भेड़ें गेहूँ के क्षेत्रों में पाई जाती हैं। भेड़े मुख्य रूप से ऊन के लिए पाली जाती हैं और इसलिए ७० प्रतिशत से अधिक भेड़ें मेरिनों नस्ल की हैं। ऊन का व्यापार अधिकांशत: ब्रिटेन, फ्रांस, संयुक्त राज्य (अमरीका) इटली और बेल्जियम से होता है। ऊन के अतिरिक्त भेड़ों का मांस भी निर्यात किया जाता है, जो पूर्णत: ब्रिटेन को भेजा जाता है।

पश-महाद्वीप में भेड़ों के बाद गाय बैलों का दूसरा स्थान है। इन पशुओं की संख्या १ मार्च, १९७० को २,१६,६२,००० थी। मांस के पशुओं में से लगभग आधे क्वींसलैंड में हैं और न्यू साउथवेल्स में २० प्रतिशत विक्टोरिया तथा पश्चिमी आस्ट्रेलिया, प्रत्येक में ७ प्रतिशत। पशु अधिकतर वर्षावाले भागों में पाए जाते हैं। पूर्वीय तट के भागों में और विक्टोरिया में, जहाँ अच्छे प्रकार के चरागाह हैं। और जहाँ दुग्धपशुओं की आवश्यकता भी अधिक है, वे विशेष रूप से पाले जाते हैं। सवाना घास के मैदानों में और आर्टीजियन कूपों की द्रोणी में विशेषकर मांसवाले पशु ही पाले जाते हैं, जो तीन वर्ष के होने पर न्यू साउथवेल्स और विक्टोरिया में हृष्ट पुष्ट करने के लिए भेजे जाते हैं। वे वहीं काटे जाते हैं। क्वींसलैंड के टाउंसवैल, राकहैंपटन, बॉवेन, ग्लैड्स्टन और ब्रिस्वेन नामक स्थानों में मांस तैयार करने के कारखने हैं। मांस के निर्यात का अधिकांश भाग ब्रिटेन को जाता है।

उद्योग धंध-यद्यपि आस्ट्रेलिया सौ से अधिक वर्षों तक किसानों और सोना निकालनेवालों का प्रदेश रहा है, तथापि अब खनिजों एवं अन्य कच्चे मालों पर निर्भर उद्योंगों की उन्नति दिन-प्रति-दिन होती जा रही है। सबसे महत्वपूर्ण उद्योग लोहा तथा इस्पात एवं उससे संबंधित भारी रासायनिक उद्योगों के हैं। ये मुख्य रूप से कोयले की खानों के निकट स्थित हैं। इस्पात का प्रथम कारखाना लिथगो में, न्यूकैसिल नामक कोयला क्षेत्र पर, १९०७ में खोला गया, परंतु आधुनिक ढंग का प्रथम कारखाना १९१५ में खुला। सबसे बड़ा कारखाना सन् १९३७-४१ में वायला में खुला, जहां पर अब पानी के जहाज बनाने का एक बड़ा कारखाना भी है। हंटर घाटी आस्ट्रेलिया का उद्योगकेंद्र है, जहां न्यूकैसिल का इस्पात कारखाना और कोयला संबंधी रासायनिक उद्योग धंधे, जैसे कोलतार, बेंजोल एवं सल्फ्यूरिक एसिड आदि उद्योग चल रहे हैं।

महाद्वीप के अन्य उद्योग धंधे अधिकतर प्रांतों की राजधानियों में हैं, जिनमें ऊनी, सूती और रेशम के कपड़े बुनने के उद्योग, हल्की कलें, मोटर, ट्रैक्टर, वायुयान, बिजली के सामान, खेती और औजार और यंत्र, रासायनिक वस्तुएँ, मदिरा और अन्य वस्तुएं बनाने के उद्योग हैं। इनके अतिरिक्त आटा पीसने और दुग्धपदार्थों के उद्योग गेहूँ और पशुपालन क्षेत्रों में स्थापित हैं। क्वींसलैंड में मांस और शक्कर के अधिकांश कारखाने हैं। अधिकांश कारखाने छोटे ही हैं।

जनसंख्या-मुख्यत: जलवायु अनुकूल न होने के कारण आस्ट्रेलिया एक विशाल महाद्वीप होते हुए भी जनसंख्या की दृष्टि से बहुत पिछड़ा हुआ है। इसमें लगभग उतने ही मनुष्य बसते हैं जितने केवल न्यूयार्क नगर में हैं। आस्ट्रेलिया की औसत जनसंख्या (तीन व्यक्ति प्रति वर्ग मील) संसार की औसत आबादी (५० व्यक्ति प्रति मील) से कहीं कम है। महाद्वीप की अधिकांश जनसंख्या समुद्रतट के निकट ही रहती है तथा केवल पूर्वी तट और दक्षिण ठंडे स्थानों में घनी है। नगरवासियों की संख्या ग्रामवासियों की अपेक्षा दिन-प्रति-दिन बढ़ती जा रही है और कुल जनसंख्या के लगभग ७० प्रतिशत लोग नगरों में निवास करते हैं। १९७० ई. में प्रांतों की राजधानियों की जनसंख्या निम्नलिखित थी :

केनबेरा १,३४,६००

सिडनी २७,१२,६१०

मेलबोर्न २३,७२,७००

ब्रिस्बेन ८,३३,४००

एडीलेड ८,०८,६००

पर्थ ६,२५,५००

होबार्ट १,४७,८३०

बृहद् ३०,२००

महाद्वीप की वर्तमान अनुमित जनसंख्या लगभग १,२५,५१,७०० है। आस्ट्रेलिया में गोरी जाति के लोगों के पहुँचने के समय लगभग तीन लाख आदिवासी थे, परंतु अब उनकी संख्या काफी घट गई है। डारविन के पूर्व आर्नहेमलैंड आदिवासियों का क्षेत्र घोषित कर दिया गया है।

परिवहन-१९वीं शताब्दी के मध्य के पूर्व से, जब रेलें नहीं थीं, महाद्वीप में परिवहन के मुख्य साधान घोड़े, ऊँट और नावें थीं। परंतु आज ऊँट और नदियों का कोई स्थान नहीं है, रेलें और मोटरें सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं। आस्ट्रेलिया के भीतरी भागों के विकास में उनका अधिक महत्व है। महाद्वीप की पहली रेल की पटरी सिडनी और पारामाटा के बीच १८५० ई. में बिछाई गई थी जो १५ मील लंबी थी। १८८१ से रेलमार्गों में बड़ी शीघ्रता से वृद्धि हुई। महाद्वीप की ट्रांस-कांटिनेंटल रेलवे, पोर्ट पीरो से कालगुर्ली तक, १९१७ में बिछाई गई थी। १९७० तक रेलामार्गों की लंबाई २५,००० मील हो गई। अनियमित वृद्धि के कारण रेलमार्ग तीन भिन्न माप के हैं, जिनके कारण अंत:प्रदेशीय परिवहन में कठिनाई होती है। अधिकांश रेलमार्ग बंदरगाहों को स्वतंत्र रूप से भीतरी भागों से मिलाते हैं। वर्तर्मान समय में रेलों की अपेक्षा मोटरकार, ट्रक और वायुयान का महत्व अधिक हो गया है। जनसंख्या से मोटरकारों और ट्रकों का अनुपात यहाँ लगभग वही है, जो संयुक्त राष्ट्र (अमरीका) में है। साथ ही आस्ट्रेलिया निवासी संसार में वायुयान का सबसे अधिक प्रयोग करते हैं।

व्यापार-आस्ट्रेलिया एक बड़ा व्यापारी महाद्वीप है। यह कच्चा माल और खाद्य पदार्थ बड़ी मात्रा में अन्य देशों को निर्यात करता है। इनमें प्रमुख स्थान ऊन का है और इन दिनों बढ़े हुए मूल्य के कारण ऊन का मूल्य संपूर्ण निर्यात वस्तुओं का लगभग ६० प्रतिशत है। खेती संबंधी वस्तुएं जैसे गेहूँ, आटा, शक्कर, जौ, फल, अचार, मुरब्बा एवं शराब का द्वितीय स्थान है। इसके पश्चात् कारखानों में बनी वस्तुएं और तत्पश्चात् मक्खन, पनीर, अंडे एवं मुर्गी आदि के निर्यात का स्थान है। ब्रिटेन से इसका सबसे घनिष्ठ व्यापारिक संबंध है। (आ.स्व.जौ.)

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद आस्ट्रेलिया ने प्रशांत महासागरीय क्षेत्र तथा एशियाई मामलों में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। साथ ही इस देश के भारत, दक्षिणपूर्व एशिया तथा जापान के साथ अपने राजनीतिक तथा आर्थिक संबंधों पहले से अधिक मजबूत हुए हैं; यहाँ तक कि १९७० ई. तक वियतनाम युद्ध में इसने अपने सैनिक भेजकर अमरीका की पर्याप्त सहायता की है। आस्ट्रेलिया कोलंबो योजना को प्रारंभ करनेवाले राष्ट्रों में से एक है। अत: इसने एशियाई देशों को अर्थ, सामग्री तथा प्रशिक्षण संबंधी काफी सहायता दी है। १९६६ ई. में सर राबर्ट मेंजीज़ ने १६ वर्ष तक यहां के प्रधानमंत्री की हैसियम से काम करने के उपरांत इस्तीफा दे दिया। पश्चात् श्री हैरोल्ड हाल्ट आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हुए। किंतु तैरते समय पानी में डूब जाने से श्री हाल्ट की मृत्यु हो गई और श्री जे.जी. गार्टन नए प्रधानमंत्री बनाए गए। १९७१ ई. में श्री गार्टन की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया और श्री विलियम मैकमहॉन ने प्रधानमंत्री का पद संभाल लिया।

आस्ट्रेलिया राष्ट्रमंडल का सदस्य देश है। यह छह राज्यों-न्यू साउथवेल्स, विक्टोरिया, क्वींसलैंड, दक्षिणी आस्ट्रेलिया, पश्चिमी आस्ट्रेलिया एवं तस्मानिया तथा एक केंद्रशासित प्रदेश उत्तरी प्रदेश से मिलकर बना संघीय शासनपद्धति को अपनानेवाला राष्ट्र है। केंद्र में दो सदन हैं-१. सीनेट तथा २. प्रतिनिधि सभा। सीनेट में सभी राज्यों से समान संख्या में प्रतिनिधि होते हैं जबकि प्रतिनिधि सभा में प्रतिनिधियों की संख्या राज्यविशेष की जनसंख्या के अनुसार रहती है। संघीय अधिकरक्षेत्र में आनेवाले कुछ अधिकारों को छोड़कर, राज्यों की सभी सरकारें पूर्णत: स्वायत्तशासी हैं। क्वींसलैंड के अतिरिक्त शेष सभी राज्यों में दो उच्च एवं अवर सदन हैं। राज्यों के मुख्यमंत्रियों को 'प्रीमियर्स' कहा जाता है जबकि केंद्र में प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का अध्यक्ष होता है। (कै.चं.श.)