आसफ खाँ तृतीय नूरजहाँ के भाई और वज़ीर एतमादउद्दौला के पुत्र। इनका असल नाम अब्दुल हसन था और 'आसफ खां' के अतिरिक्त इन्हें 'एतकाद खाँ' तथा 'अमीनुद्दौला' इत्यादि उपाधियां भी मिली थीं। सन् १६२१ में एतमादउद्दौला के मरने पर शहंशाह जहाँगीर ने आसफ खाँ को वजीर नियुक्त किया। इनकी पुत्री बेगम अर्जमंद बानो या मुमताज महल का विवाह शाहजहाँ से हुआ था। इनके शाइस्ता खाँ, मिर्जा मसीह, मिर्जा हुसेन तथा शाहनवाज खाँ नाम से चार पुत्र थे। सन् १६४१ ई. में आसफ खाँ की मृत्यु हो गई और इन्हें लाहौर के समीप रावीतट पर दफना दिया गया। (कै.च.श.)