आसफ खाँ द्वितीय मिर्जा वदीउज्जमाँ के पुत्र थे और इनका जन्म काजवीन् नामक स्थान पर हुआ था। इनका असल नाम मिर्ज़ा जाफरबेग था और लोग इन्हें अलिफ खां भी कहते थे। सन् १५७७ ई. में ये अपने मामा के पास भारत आए। इनके मामा अकबर के वजीर थे और उनकी उपाधि आसफ खां थी। मामा की सिफरिश पर अकबर ने इनकी नियुक्ति 'बख्शी' के पद पर कर दी। मामा की मृत्यु के पश्चात् इन्हें आसफ खां की उपाधि मिल गई। ये कवि भी थे और सुपंडित भी। मुल्ला अहमद के मरने पर अकबर के आदेश से इन्होंने 'तारीख अलफ़ी' नामक इतिहास ग्रंथ लिखा। १५९८ ई. में अकबर ने इन्हें 'वजीर आला' (प्रधान मंत्री) बना दिया। जहांगीर के शासनकाल में भी इन्हें पर्याप्त सम्मान मिला। 'शीरीं या खुसरी' नामक उत्कृष्ट काव्य की रचना इन्होंने ही की। १६१२ ई. में इनका देहावसान हो गया। (कै.चं.श.)