आसफ खाँ प्रथम अकबर बादशाह की सेना में उच्च्पदस्थ अधिकारी इनकी उपाधि 'अब्दुल मजीद' थी। सन् १५६५ ई. में इन्होंने नर्मदा तटवर्ती गढ़कोट (बुंदेलखंड) पर आक्रमण किया। गढ़कोट की तत्कालीन रानी दुर्गावती ने ससैन्य इनका मुकाबला किया। किंतु आसफ खां की कूटनीति के कारण रानी की हार हुई। आसफ खां ने योजना बनाई कि रानी को जीवित बंदी बना लिया जाए पर असम्मान के भय से रानी दुर्गावती ने तलवार से स्वयं अपनी गर्दन काट डाली। आसफ खाँ ने रानी की संपत्ति एवं धनराशि को अकेले हड़पने की चेष्टा की लेकिन भेद खुल गया और आसफ खाँ को विद्रोह करना पड़ा। बाद में इन्होंने चित्तोड़ पर विजय प्राप्त की और इसके उपलक्ष्य में इन्हें वहां जागीर मिली। (कैं.चं.श.)