आल्बुकर्क, आल्फोंजोथ (१४५५-१५१५ ई.) भारत में द्वितीय पुर्तगाली वाइसराय, शासक एवं पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक। पुर्तगाल से चलकर पूर्वी अफ्रीका के अरब नगरों पर आक्रमण कर एशिया के विख्यात व्यावसायिक केंद्र ओर्मुज़ को अधिकृत करता जब आल्बुकर्क वाइसराय का पद ग्रहण करने भारत पहुँचा तब तत्कालीन वाइसराय आल्मेईदा द्वारा बंदी बना लिया गया। बंदीगृह से विमुक्त होने पर उसने अपने आपको वाइसराय घोषित कर दिया। कठोर युद्ध के पश्चात् गोआ हस्तगत कर उसे अपना प्रमुख केंद्र बनाया। फिर उसने स्याम, चीन आदि से संपर्क स्थापित करने का प्रयत्न किया। मलक्का पर तो उसने अधिकार स्थापित कर लिया। किंतु अदन को हस्तगत करने में वह असफल रहा। ओर्मुज़ पर पुनरधिकार उसकी अंतिम सफलता थी। वहां से लौटते समय मार्ग में उसे अपने व्यक्तिगत शत्रु सोरीज़ के वाइसराय नियुक्त होने का समाचार मिला तो शोकावेग से उसकी मृत्यु हो गई। राजाज्ञा से वह गोआ में ही इस विचार से दफनाया गया कि जब तक उसकी कब्र भारतवासियों के संमुख रहेगी, भारत में पुर्तगाली शासन बना रहेगा।

मुसलमानों के प्रतिकठोर रहते हुए भी आल्बुकर्क अपनी सहृदयता तथा न्यायप्रियता के लिए जनता में लोकप्रिय प्रामाणित हुआ। (रा.ना.)