आल्कोफोरादो मारियाना (१६४०-१७२३) भिक्षुणी के पत्र की विख्यात पुर्तगाली लेखिका; पुर्तगाल और स्पेन के परस्पर युद्ध के समय सुरक्षा और शिक्षा के विचार से मारियाना को विधुर पिता ने एक कानवेंट में रख दिया। १६ साल की अवस्था में मारियाना भिक्षुणी हो गई। २५ साल की उम्र में फ्रांस के मार्गन मार्क्विस दि कैमिली से मारियाना की भेंट हुई जिससे वह प्रेम करने लगी। चर्चा फैली, अफवाह उड़ी। परिणाम से डरकर वह फ्रांस भाग गया। इस समय भग्नह्दय मारियाना ने जो पांच पत्र लिखें वे साहित्य को अक्षय निधि बन गए। वे मनोवैज्ञानिक आत्मविश्लेषण के अपूर्व उदाहरण हैं। इनमें प्रेमिका के विश्वास, निराशा और संदेह का अद्भुत वर्णन है। पत्रों के यथार्थ चित्रण, वेदना की गहरी अनुभूति, सह्दयता और पूर्ण आत्मसमर्पण की प्रशंसा मदाम द सविन्य, ग्लेटस्टन, टेनर, मारिया जैसे उच्च कोटि लेखकों ने की है। अनेक भाषाओं में उनके अनुवाद भी हुए हैं। उनके अनुवाद भी हुए हैं। मारियाना का शेष जीवन कठोर तप और यंत्रणा में बीता। रूसो जैसे कुछ लेखकों का कहना था कि ये पत्र मूलत: किसी पुरुष के लिखे हैं, पर अब लेखिका मारियाना की वास्तविकता सिद्ध हो चुकी है। (स.च.)