सरदेसाई, गोविंद सखाराम (१८६५-१९५९) का मराठों के अर्वाचीन इतिहासकारों में अग्रगण्य स्थान है। जन्म १७ मई १८६५ को कोंकण, महाराष्ट्र, के गोविल ग्राम में। वह कर्हाड ब्राह्मण थे और इनके पितामह ने छत्रपति शिवाजी, पेशवा, प्रतिनिधि इत्यादि की सेवा की। बाद में आर्थिक स्थिति गिर जाने के कारण पिता सखाराम महादेव ने खेती की। गोविंद सखाराम का बाल्यकाल काफी कठिनाई से बीता। शिक्षा, रत्नगिरि, फर्ग्युसन कालेज पूना, और एलफिंस्टन कालेज बंबई, में प्राप्त की। १८८८ में बी. ए. की डिग्री प्राप्त करने के बाद बड़ौदा रियासत के महकमा खास में उनकी नियुक्ति हो गई और अगले ३७ वर्ष तक बड़ौदा राज्य की सेवा में रहे तथा जागीरदारों के लड़कों और महाराजकुमार को शिक्षा देने का कार्य भी करते रहे। १८९२ और १९११ के बीच वे सर सयाजीराव गायकवाड़ के साथ कई बार यूरोप गए। गोविंद सखाराम को पारिवारिक सुख न मिल सका। उनके दोनों प्रतिभाशाली पुत्र युवावस्था में ही तपेदिक के शिकार हो गए। १९२५ में उन्होंने राज्य से मनमुटाव के कारण एक छोटी पेंशन पर अवकाश ग्रहण किया।

उन्हें बाल्यकाल से ही इतिहास की ओर रुचि थी। उन्होंने विविध विषयों पर पुस्तकें लिखी और मराठी में अनुवाद किया। १८९९ में 'मुसलमानी रियासत' प्रकाशित की (संशोधित संस्कण १९२७-२८)। तीन वर्ष बाद 'मराठी रियासत' का प्रथम खंड छपा। यह रचना ९ खंडों में अगले तीस वर्षों में पूरी हुई, और इसी बीच विविध खंडों के कई संशोधित खंड भी प्रकाशित हुए। यदुनाथ सरकार से उनका संपर्क १९०४ में प्रारंभ हुआ और एक आजीवन मैत्री में परिणत हो गया। यदुनाथ सरकार से ऐतिहासिक विषयों पर उनका पत्रव्यवहार १९५८ में दो जिल्दों में प्रकाशित हुआ (Life and Letters of Sir Jadunath Sarkar, ed. H. R. Gupta)। अवकाश ग्रहण करने के बाद उनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य पेशवा दफ्तर के अभिलेखों का ४५ जिल्दों में बंबई सरकार के तत्वावधान में प्रकाशन था (पेशवे दफ्तर निवडक कागदपत्र, Selections from the Peshwa Daftar ; 1930-1934)। मराठी इतिहास के लिए और १८वीं शती के इतिहास के लिए यह ग्रंथ बहुमूल्य है, यद्यपि पैसों की तंगी, सरकार जल्दबाजी इत्यादि के कारण संपादकीय दृष्टि से इसमें बहुत सी त्रुटियाँ हैं।

सरदेसाई के अन्य प्रकाशनों में निम्नलिखित महत्वपूर्ण हैं - 'सरदेसाई घराण्यां चा इतिहास' (रजि. १९२५ १९२९); 'मेन करेंट्स ऑव मराठा हिस्टरी' (१९२५, संशोधित २ रा संस्करण १९४८); हैंडबुक टु द रेकार्ड्स इन द एलिएनेशन ऑफिस पूना (Handbook to the Records in Alienation Office Poona); 'ऐतिहासिक पत्रव्यवहार' (१९३३); श्याकांतचीं पत्रें' (१९३४); शाहजी, शिवाजी, संभाजी, राजाराम की जीवनियाँ (१९३५-१९३६); 'पूना अफेयर्स' (संपादित, मैलेट, पामर, क्लोज तथा एलफिंस्टन की एंबेसियाँ १९२६, १९४०, १९५०, १९५८) (Poona Affairs : Embassies of Mallet, Palmer, close and Elphinstone)।

मराठा इतिहास के अपने लंबे अध्ययन का निचोड़ सरदेसाई ने अपनी पुस्तक 'न्यू हिस्टरी ऑव द मराठज' (New History of the Marathas, हिं., मराठों का नवीन इतिहास, १९६१-१९६४) में छापा। यह ग्रंथ मराठा इतिहास की पुरानी और नवीन अध्ययनपद्धति के बीच की बड़ी है।

मृत्यु पूना के पास अपने निवासस्थान कमशेट में हुई। (सतीश चंद्र)