समरकंद स्थिति : ३९� ३९� उ. अ., तथा ६६� ५६� पू. दे.। यह नगर सोवियत संघ में, मध्य एशिया के उजबेक सोवियत समाजवादी गणतंत्र में स्थित है। यह मंगोल बादशाह तैमूर की राजधानी रहा। समरकंद से ७१९ मीटर ऊँचाई पर, ज़रफ़ शान की उपजाऊ घाटी में स्थित है। यहाँ के निवासियों के मुख्य व्यवसाय बागवानी, धातु एवं मिट्टी के बरतनों का निर्माण और कपड़ा, रेशम गेहूँ, चावल, घोड़ा, खच्चर, फल इत्यादि बागवानी, धातु एवं मिट्टी के बरतनों का निर्माण और कपड़ा, रेशम, गेहूँ, चावल, घोड़ा, खच्चर, फल इत्यादि का व्यापार है। शहर के बीच रिगिस्तान नामक एक चौराहा है, जहाँ पर विभिन्न रंगों के पत्थरों से निर्मित कलात्मक इमारतें विद्यमान हैं। शहर की चारदीवारी के बाहर तैमूर के प्राचीन महल हैं। ईसा पूर्व ३२९ में सिकंदर महान् ने इस नगर का विनाश किया था। १२२१ ई. में इस नगर की रक्षा के लिए १,१०,००० आदमियों ने चंगेज खाँ का मुकाबला किया। १३६९ ई. में तैमूर ने इसे अपना निवासस्थान बनाया। १८वीं शताब्दी के प्रारंभ में यह चीन का भाग रहा। फिर बुखारा के अमीर के अंतर्गत रहा और अंत में सन् १८६८ ई. में रूस का भाग बन गया।
(सरदार सिंह ढबरिया)