सप्रे, माधवराव का जन्म १८७१ ई. में पथरिया (जिला दमोह) मध्य प्रदेश में हुआ। विद्यार्थी जीवन में ही सरकारी नौकरी न करने तथा मराठी और हिंदी की सेवा का व्रत लिया। १८९८ ई. में कलकत्ता विश्वविद्यालय की बी. ए. परीक्षा पास की। पेंढरा (बिलासपुर) के महाराजकुमार के अंग्रेजी ट्यूटर नियुक्त हुए। १९०० ई. में पेंढरा से 'छत्तीसगढ़ मित्र' नामक समालोचनाप्रधान हिंदी मासिक पत्र प्रकाशित किया जो कुछ समय रायपुर से प्रकाशित होकर १९०३ ई. में आर्थिक कठिनाई से बंद हो गया। आलोचनात्मक पत्र के रूप में इसकी प्रसिद्धि हुई। नए लेखकों के प्रोत्साहन और मार्गदर्शन में तथा हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार में इसने बड़ा योगदान किया। सप्रे जी नागपुर आकर देशसेवा प्रेस में काम करने लगे। वही १९०५ ई. में हिंदी में श्रेष्ठ ग्रंथों के प्रकाशन के उद्देश्य से 'ग्रंथमाला' नाम का मासिक पत्र प्रकाशित, किया। इसमें हर मास उच्च कोटि की अंग्रेजी पुस्तकों के अनुवाद के साथ ही कविता, निबंध, आलोचनात्मक टिप्पणी और ऐतिहासिक साहित्यिक तथा राजनीतिक विषयों के लेख छपते थे। मराठी 'केसरी' के ढंग का साप्ताहिक 'हिंदी केसरी' आपने १९०७ ई. में प्रकाशित किया जिसमें समाचारों के साथ सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर उग्र और क्रांतिकारी स्वर के लेख छपते थे। फलत: १९०८ ई. में आप गिरफ्तार किए गए और कुछ समय जेल में रहकर छूटे। १९२० ई. में आपकी प्रेरणा से साप्ताहिक 'कर्मवीर प्रकाशित हुआ। हिंदी साहित्य सम्मेलन के देहरादून अधिवेशन के आप सभापति बनाए गए। 'दास बोध' और 'गीता रहस्य' के मराठी से हिंदी अनुवाद के अतिरिक्त आपने 'रामचरित्र' और 'एकनाथचरित्र' ग्रंथों की रचना की। २३ अप्रैल, १९२६ को आपकी मृत्यु हुई। (बलभद्र प्रसाद मिश्र)