सदानंद घिल्डियाल (१८९८-१९२८) जन्म क्टूलस्यू गाँव खोला में हुआ। वे आयुर्वेद के विद्वान् ही नहीं शुद्ध साहित्यिक भी थे। उनका 'प्रायश्चित्त' शीर्षक हिंदी नाटक तथा 'भावकुसुमांजलि' शीर्षक अप्रकाशित कविताएँ उनकी साहित्यिक प्रतिभा का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं। विशुद्ध साहित्यसाधना के अतिरिक्त उन्होंने आयुर्वेद के कई ग्रंथों पर टीकाएँ लिखीं तथा 'रसतरंगिणी' नामक आयुर्वेद के कई ग्रंथों पर टीकाएँ लिखीं तथा 'रसतरंगिणी' नामक आयुर्वेद विषयक ग्रंथ की रचना की। संस्कृत की कोमल कांत पदावली में लिखे इस ग्रंथ की विद्वानों ने भूरि भूरि प्रशंसा की है।