सड़क, स्थिरीकृत मिट्टी की भारत एक विशाल देश है। यहाँ सभी मौसमों में प्रयुक्त होनेवाली, लंबी लंबी सड़कों की तत्काल आवश्यकता है, ताकि देश के आर्थिक विकास के लिए कृषि उपज तथा कच्चे मालों का आवागमन सुचारु रूप से हो सके।
सभी मौसमों में प्रयुक्त होनेवाली, कम लागत की सड़क पानी कुटी मैकेडैम (water bound macadam) समीप उपलब्ध हो, तो ऐसी सड़क का निर्माणव्यय कम पड़ता है। पर अधिकांश क्षेत्रों में यह अत्यधिक खर्चीला होता है, क्योंकि पनकुटी मैकैडैम के संतोषजनक निर्माण के लिए कठोर पत्थरों को काफी दूर से ले आना पड़ता है।
इसका विकल्प निम्न कोटि के सुलभ पदार्थों, जैसे कंकड़, ईटं की गिट्टी, मूरम, लैटेराइट आदि से बनी पनकुटी नैकेडैम सड़क है। उपर्युक्त पदार्थ अधिकांश क्षेत्रों में निर्माण स्थल के समीप ही उपलब्ध होते हैं, परंतु इस सड़क में दोष यह है कि ऐसी पानी कुटी मैकैडैम सड़क के निर्माण में प्रयुक्त होनेवाले निम्न कोटि के पदार्थों के कठोर किनारे, बार बार यातायात भार पड़ने के कारण, सड़क सतह (road crust) के अंदर घिसकर टूट जाते हैं। इससे धीरे धीरे अंत:ग्रथन (interlock) कम होता जाता है और अंत में सड़क की सतह कमजोर होकर नष्ट हो जाती है।
दीर्घकालिक अनुसंधान के फलस्वरूप यह पता चला है कि ऐसा ्ह्रास रोका जा सकता है। इसके लिए उच्च कोटि की मिट्टी में निम्न कोटि का मिलावा मिला दिया जाता है। इस प्रकार प्राप्त मैट्रिक्स (matrix) की शक्ति, मिलावे के अंत:ग्रथन से न प्राप्त होकर मिट्टी गारे की ससंजकता (cohesiveness) से प्राप्त होती है। मिट्टी और मिलावे का अनुपात इस प्रकार निश्चित किया जाता है कि मिलावे के प्रत्येक कण के चारों ओर काफी मिट्टी रहे। ऐसा केवल मिलावे के कण को पिसने से बचाने के लिए ही नहीं, अपितु संलग्न कणों को एक साथ रखने तथा संहत ढेर को, उस क्षेत्र की विभिन्न आर्द्र परिस्थितियों में, आवश्यक सामर्थ्य प्रदान करने के लिए भी किया जाता है।
उपर्युक्त परिणामों के आधार पर यंत्र द्वारा स्थिरीकृत मिट्टी की सड़क के निर्माण की एक सस्ती विधि का विकास हुआ है, जो दीर्घकाल तक सफल प्रमाणित हुई है।
यह विशिष्ट विधि (specification) पिछली दो दशाब्दियों के अनुसंधान तथा २०० मील से अधिक स्थिरीकृत मिट्टी मार्ग के डिजाइन, निर्माण तथा रख रखाव से प्राप्त अनुभव का परिणाम है।
इस विशिष्ट विधि की सिफारिश निम्नलिखित जलवायु एवं यातायात संबंधी परिस्थितियों के लिए की गई है :
वर्षा - प्रति वर्ष ६० इंच तक हो।
अवभूमि जलतल - भूमि तल से छह फुट से कम दूर न हो।
अधिकतम यातायात - ऊबड़ खाबड़ सड़कों के लिए औसत मिश्रित यातायात अधिक से अधिक लगभग ५० टन प्रति दिन हो।
चिकनी सतहवाली सड़कों के लिए, औसत मिश्रित यातायात लगभग २०० टन प्रति दिन हो।
विशिष्ट विधि - (क) जहाँ बिटुमेनी सतह का उपचार न करना हो :
(१)�� निचली तह (Course) - ४ से ७.५ तक की सुघट्यतासूचक (plasticity index) मिट्टी, जिसमें बालू की मात्रा ५०% से कम न हो, अनुकूलतम नमी पर बिछाकर, लगभग आठ टन बाले रोलर से तब तक दबाई जाती है जब तक सूखे ढेर का घनत्व १�८ ग्राम प्रति घन सेंमी. न हो जाए। एकत्रित मिट्टी में सोडियम सल्फेट की मात्रा भार में ०.१५% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
(२)�� ऊपरी तह (Wearing Course) - ७.५ तक की सुघट्यतासूचक मिट्टी का जिसमें बालू की मात्रा ३३% से कम न हो, दो भाग तथा ईटं गिट्टी, मूरम (moorum), कंकड़ या लैटेराइट (laterite) के मिलावे (aggregate) का एक भाग मिलाकर, मिश्रण तैयार किया जाता है। मिलावे के आकार ऐसा होना चाहिए जो १.२५ इंच वाली चलनी से चल जाए तथा जिसका २०% से अधिक भाग ०.२५ वाली चलनी से न चले। मिलावे का संघट्ट मान (impact value) ४० से ५०% तक होना चाहिए। मिट्टी तथा मिलावे के मिश्रण को अनुकूलतम नमी (optimum moisture) पर बिछाकर, लगभग आठ टन वाले रोलर से तब तक दबाया जाता है जब तक सतह पर यह कोई निशान न छोड़े।
(ख) जहाँ बिटुमेनी (bituminous) सतह का उपचार करना हो :
(१)�� निचली तह - ४ से ७.५ तक की सुघट्यतासूचक मिट्टी की, जिसमें बालू की मात्रा ५०% से कम न हो, बिछाकर, लगभग आठ टन वाले रोलर से तब तक दबाया जाता है जब तक सूखे ढेर का घनत्व १.९ ग्राम प्रति घन सेमी. न हो जाए। एकत्रित मिट्टी में सोडियम सल्फेट की मात्रा भार में ०.१५% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
(२)�� निचला स्तर या ऊपरी तह (Base Coat) - ७.५ से ९.५ तक की सुघटयतासूचक मिट्टी का, जिसमें बालू की मात्रा ३३% से कम न हो, दो भाग और ईटं, गिट्टी, कंकड़, मूरम या लैटेराइट के मिलावे का एक भाग मिलाकर, मिश्रण तैयार कर लिया जाता है। मिश्रण तैयार करने के पूर्व मिलावे का १०% भाग बचा लिया जाता है, जो बाद में मिश्रण के ऊपर, दबाई के पूर्व, डाला जाता है। मिलावे का आकार ऐसा होना चाहिए जो १.२५ इंच वाली चलनी से चाला जा सके तथा जिसका २०% से अधिक भा ०.२५ वाली चलनी से न चाला जा सके। मिलावे का संघट्ट मान ४०% से ५०% तक होना चाहिए। मिट्टी और मिलावे में इतना पानी बहना चाहिए कि लगभग ८ टन रोलर से दबाने पर तले पर कोई निशान न बने।
(३)�� डामर बिछाई (Surface Dressing) - निचली तह के कुछ दिनों तक सूखने के बाद निचले स्तर की सतह पर, २० पाउंड प्रति १०० वर्ग फुट क्षेत्र की दर से सोख बंधक (primer -यह बिटुमेन के ३० भाग तथा भ्राष्ट्र तेल के १०० भाग का मिश्रण होता है) डाला जाता है। जब सोख बंधक सतह द्वारा सोख लिया जाता है, तब सतह पर दो बार पुन: डामर अथवा पूर्व मिश्रण (premix) डालकर, सतह को परिष्कृत कर लेते है। डामर बिछाई के लिए प्रयुक्त ककड़ी (grit) का संघट्ट मान २५ से अधिक नहीं और डामर छूटने का मान (stripping value) १५ से २० होना चाहिए।
(ग) जहाँ पत्थर बंध के साथ बिटुमेनी सतह का उपचार करना भी हो :
(१)�� निचला तह - ४ से ७.५ तक की सुघट्यतासूचक मिट्टी को, जिसमें बालू की मात्रा ५०% से कम न हो, अनुकूलतम नमी पर बिछाकर, लगभग आठ टनवाले रोलर से तब तक दबाई की जाती है, जब तक सूखे ढेर का घनत्व १.९ ग्राम प्रति घन सेंमी. न हो जाए। एकत्रित मिट्टी में सोडियम सल्फेट की मात्रा, भार में ०.१५% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
(२)�� निचले स्तर की ऊपरी तह - ७.५ से ९ तक की सुघट्यता सूचक मिट्टी का, जिसमें बालू की मात्रा ३३% से कम न हो, दो भाग और ईटं की गिट्टी, कंकड़, मूरम या लैटेराइट के मिलाने के एक भाग को मिलाकर मिश्रण तैयार कर लिया जाता है। मिलावे के एक भाग को मिलाकर मिश्रण तैयार कर लिया जाता है। मिलावे का आकार ऐसा होना चाहिए जो १.२५ इंच वाली चलनी से चाला जा सके तथा जिसका २०% स अधिक भाग ०.२५ इंच वाली चलनी से न चाला जा सके। मिलावे का संघट्ट मान ४० से ५०% के लगभग होना चाहिए। मिलावे तथा मिट्टी के मिश्रण को अनुकूलतम नमी पर बिछा दिया जाता है और बाद में इसको सात से आठ घन फुट प्रति १०० वर्ग फुट की दर से, एक इंच आकारवाली पत्थर की रोड़ियों से ढँक दिया जाता है। पत्थर की रोड़ी के मिलावे का संघट मान २५ से अधिक नहीं होना चाहिए। तत्पश्चात् सड़क की दबाई लगभग आठ टनवाले रोलर से तब तक की जाती है जब तक सतह पर कोई निशान न पड़े।
(३)�� डामर बिछाई - यह दो बार होनी चाहिए। इसके लिए पूर्व मिश्रण का भी प्रयोग किया जाता है। डामर बिछाने के लिए प्रयुक्त होनेवाली कंकड़ी का कुल संघट्ट मान २५ से कम और डामर छूटने का मान (stripping value) १५ से २० तक होना चाहिए (केंद्रिय सड़क शोध संस्थान के शोधपत्र संख्या १८, 'बिटुमेनी बंधकी का छूटना' के अनुसार)। (सीताराम मेहरा)