सक्सिनिक अम्ल (Succinic Acid) सक्सिनिक शब्द लैटिन के सक्सिनम (Succinum) से निकला है, जिसका अर्थ होता है ऐबर। ऐवर में यह अम्ल तीन से चार प्रतिशत तक पाया जाता है। अन्य रेज़िनों, लिग्नाइट, काष्टाश्म और अनेक पेड़ों में यह पाया जाता है। अंगूर, चुकंदर, गूजंकेरी तथा रेवंद चीनी के रसों में भी यह रहता है। प्राणी जगत् में भी यह थाइमस ग्रंथि (thymus gland) और प्लीहा (spleen) में पाया जाता है। अनेक पदार्थो से, जैसे अमोनियम टाट्रेंट व कैल्सियम मैलेट के जीवाणु किण्वन से तथा वसा या वसाम्लों के ऑक्सीकरण से भी यह बनता है। एथिलीन गैस से इसका संश्लेषण हुआ है। बेंजीन के ऑक्सीकरण से मैलेइक अम्ल बनता है और मैलेइक अम्ल के ऑक्सीकरण से सक्सिनिक अम्ल प्राप्त हो सकता है।
सविसनिक अम्ल द्विक्षारक अम्ल है। इसका संरचनासूत्र निम्नलिखित है :
HOOC. CH2.CH2. COOH
यह संतृप्त ठोस अम्ल है। इसका प्रिज़्म के आकार का रंगहीन क्रिस्टल बनता है, जो १८३� सें. पर पिघलता है और जिसका द्रव २३५� सें. पर उबलता है। इसमें बंद शृंखला यौगिक बनने की प्रवृति है। इसके वाष्प से जल निकल जाने पर, यह सक्सिनिक ऐनहाइड्राइड बनाता है :
CH2 - C = 0
����������� O
CH2 - C = 0
इसके अमोनियम लवण को तपाने से सक्सिनिमाइड प्राप्त होता है :
CH2 - C = 0
����������� NH
CH2 - C = 0
सविसनिमाइड को जस्ते की धूल के साथ आसुत करने से पाइरोल बनता है। सक्सिनिक अम्ल को फ़ॉस्फ़ोरस ट्राइसल्फाइड के साथ गरम करने से थोयोफ़ोन बनता है :
CH = CH
���������� s
CH = CH
सक्सिनिक अम्ल जल में विलेय होता है। इसकी क्षारीय धातुओं और क्षारीय मृत्तिका धातुओं के लवण भी जल में विलेय होते हैं। बेरियम लवण ऐल्कोहॉल में अविलेय होता है। लोहे का लवण जल में अविलेय होता है। (सत्येंद्र वर्मा)