संस्कार (ईसाई) धर्म की बहुसंख्यक धर्मविधियों में से कुछ ही साक्रामेंट अथवा संस्कार कहलाते हैं। साक्रामेंट का अर्थ है पवित्र। प्रारंभ में इस शब्द का प्रयोग अधिक व्यापक था किंतु बाद में वह ईसाई चर्च की ऐसी धर्मविधियों के लिए प्रयुक्त होने लगा (१) जिनका प्रवर्तन ईसा की आज्ञा से हुआ है, (२) जिनके अनुष्ठान में प्रतीकात्मक कृत्यों द्वारा ईश्वरीय कृपादान सूचित किया जाता है, और (३) जिनके द्वारा वह कृपा ईसा की इच्छा से विश्वासियों को वास्तव में दी जाती है। उदाहरणार्थ ईसा ने अपने शिष्यों से कहा था कि वे जल से वपतिस्मा दिया करें, जल द्वारा पापों का प्रक्षालन सूचित किया जाता है और ईसा की इच्छा से पाप वास्तव में क्षमा कर दिए जाते हैं।
चर्च के धर्मपंडितों ने प्रारंभ ही से चली आनेवाली ईसाई धर्मविधियों पर चिंतन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार कुल सात ही ईसाई साक्रामेंट अथवा संस्कार होते हैं। इनमें से चार के विषय में देखिए 'वपतिस्मा', 'यूखारिस्ट', 'पापस्वीकरण' और 'पौरोहित्य' (दे. पुरोहित)। शेष तीन संस्कार ये हैं - विवाह, दृढ़ीकरण (कानफर्मेशन) और रोगियों का संस्कार (तैलमर्दन)।
प्रोटेस्टैट धर्म ने संस्कारों की संख्या को दो ही तक सीमित कर दिया है। उसमें प्राय: वपतिस्मा और यूखारिस्ट को ही संस्कार माना जाता है।
सं.ग्रं. - एम.जे. रोबन : दि मिस्टरीज ऑव क्रिस्टिअनिटी, सेंट लुविस, १९४९। (कामिल बुल्केु.)