संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूनाइटेड नेशंस असेंबली) संयुक्त राष्ट्र महासभा विश्वसंगठन की सर्वांगीण संस्था है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के समस्त सदस्य राष्ट्रों का सम प्रतिनिधित्व है। महासभा संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र के अंतर्गत आनेवाले समस्त विषयों पर तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों की कार्यपरिधि में आनेवाले प्रश्नों पर विचार करती है और सदस्य राष्ट्रों एवं सुरक्षा परिषद् से उचित अभिस्ताव कर सकती है। महासभा के प्रमुख विचारणीय विषय है - नि:शस्त्रीकरण एवं शस्त्रनियंत्रण के सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा संबंधी प्रश्न। महासभा को अंतरराष्ट्रीय सहयोग की वृद्धि, अंतरराष्ट्रीय विधि का विककास एवं संहिताकरण, मानवमात्र के मौलिक अधिकार आदि विषयों पर अध्ययन की व्यवस्था करके उनपर अभिस्ताव करने का भी अधिकार है। महासभा सुरक्षा परिषद् का ध्यान उन स्थितियों की ओर आकृष्ट कर सकती है जिनसे शांति एवं सुक्षा को संकट की आशंका है। उपर्युक्त विषयों पर महासभा के प्रस्ताव आदेशात्मक नही है परंतु अपने नैतिक बल एवं विश्व जनमत के निर्देशक होने के नाते उनका विशेष महत्व है। इसके अतिरिक्त महासभा सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों और सामाजिक आर्थिक परिषद् एव न्यासत्व परिषद् के सदस्यों को निर्वाचित करती है और महासचिव एवं अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश के निर्वाचन में योग देती है। राष्ट्रसंघ के सदस्यों का प्रवेश और निष्कासन भी, सुरक्षा परिषद् की संस्तुति पर, महासभा द्वारा किया जाता है। महासभा के अन्य कृत्यों में राष्ट्रसंघ के बजट का अनुमोदन, न्यास व्यवस्था का पर्यवेक्षण और अन्य अंगों के कार्यों का संयोजन उल्लेखनीय है।
महासभा का नियमित अधिवेशन प्रति वर्ग सितंबर मास से होता है परंतु अधिकांश सदस्यों अथवा सुरक्षा परिषद् के अनुरोध पर, महासचिव विशेष अधिवेशन बुला सकता है। महासभा प्रत्येक अधिवेशन के लिए एक सभापति और सात उपसभापति चुनती है। महासभा का अधिकांश कार्य निम्न सात मुख्य समितियों में होता है जिनमें प्रत्येक सदस्य राष्ट्र के प्रतिनिधि होते हैं (१) राजनीतिक एवं सुरक्षा समिति, (२) आर्थिक एवं वित्तीय समिति, (३) सामाजिक, मानवीय एवं सांस्कृतिक समिति, (४) न्यास समिति, (५) प्रशासन एवं बजट समिति, (६) विधि समिति, और (७) विशेष राजनीतिक समिति। महासभा की दो प्रक्रियात्मक समितियाँ भी हैं (१) सामान्य समिति उपर्युक्त समितियों के कार्यो का समन्वय करती है और (२) प्रमाणपत्र समिति प्रतिनिधियों के प्रमाणपत्रों पर विचार करती है। सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों के निषेधाधिकार प्रयोग से उत्पन्न राष्ट्रसंघ की अकर्मण्यता के निवारण के लिए महासभा ने १९४० में लघुसभा नामक एक अंतरिम समिति की स्थापना की। महासभा के सत्रावसान में महासभा का कार्य लघुसभा कर सकती है और महासभा का अधिवेशन बुला सकती है। महासभा द्वारा १९५० में पास 'शांति के लिए एकता' प्रस्ताव से भी राष्ट्रसंघ में महासभा का महत्व और उत्तरदायित्व विशेष बढ़ गया है। इसके अनुसार, सुरक्षा परिषद् में शांति एवं सुरक्षा के प्रश्नों पर मतैक्य न होने पर, २४ घंटे की सूचना पर महासभा का विशेष अधिवेशन बुलाया जा सकता है जो सामूहिक उपायों का अभिस्ताव और सैनिक कार्यवाही का निर्देश कर सकता है।
महासभा ने पिछले १५ साल में विश्व की विभिन्न जटिल समस्याओं पर विचार किया और कोरिया, ग्रीस, पैलेस्टाइन, स्पेन आदि के प्रश्न पर उचित कार्यवाही की। १९५९ में ब्रिटेन, फ्रांस और इसराइल द्वारा स्वेज पर किए गए आक्रमण को रोकने में महासभा सफल हुई। महासभा को प्राप्त सफलताओं एवं असफलताओं के आधार पर इसका मूल्यांकन करना उचित न होगा। यद्यपि महासभा के निर्णय सदस्यों के लिए आदेशात्मक नहीं है, तथापि विश्व इतिहास की सर्वाधिक प्रतिनिधि संस्था होने के नाते अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सहयोग की स्थापना के लिए उसका महत्वपूर्ण स्थान निर्विवाद है।
सं.ग्रं. - केल्सन : दी ला ऑव यूनाइटेड नेशंस; गुडरिव तथा हैबू : दी चारटर ऑव यूनाइटेड नेशंस; पाटर : इंटरनेशनल आर्गेनाज़ेशन; वार्टले : दी यूनाइटेड नेशंस। (रमेश कुमार मिश्र)