श्रेडिंगर, अर्विन (Schrodinger, Erwin, सन् १८८७-) ऑस्ट्रियावासी भौतिकीविद्, ने वियेना विश्वविद्यालय में शिक्षा पाई थी। वियेना तथा येना विश्वविद्यालयों में अध्यापन करने के पश्चात्, ये सन् १९२० में स्टटगार्ट तकनीकी उच्च विद्यालय में विशेष प्रोफेसर नियुक्त हुए। सन् १९२१ में ब्रेस्लॉ तथा जूरिक, सन् १९२७ में बर्लिन, सन् १९३३ में ऑक्सफर्ड तथा सन् १९३६ में ग्रात्ज़ विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर पद को अपने सुशोभित किया। सन् १९४० में उच्च अध्ययन के डब्लिन संस्थान में आप वरिष्ठ प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए।
श्रेडिंगर के नाम से प्रसिद्ध तरंग समीकरण का प्रतिपादन कर, आपने भौतिकी की विशेष शाखा, तरंगयांत्रिकी संबंधी अन्वेषण आरंभ किए। इन अन्वेषणों को अपने लिखित रूप, इस विषय पर लिखे अपने ''लेखसंग्रह'' तथा ''तरंगयांत्रिकी पर चार व्याख्यान'' नामक ग्रंथों में, दिया है। विज्ञान की इस सेवा के लिए आपको सन् १९३३ में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
सन् १९४६ में आपने क्षेत्र सिद्धांत (Field Theory) पर भी अमूल्य विचार व्यक्ति किए। सन् १९४५ में लिखित 'सांख्यिकीय ऊष्मागतिकी', सन् १९३५ में 'विज्ञान तथा मानुषी स्वभाव' और सन् १९४४ में लिखा 'जीवन क्या है?', आपके अन्य विचारोत्तेजक ग्रंथ हैं। (भगवान दास वर्मा)